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________________ नशाबन्दी आन्दोलनों में भाग लेने के कारण सन् 1930 में 6 मास के कारावास का दंड मिला। 155 सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान काशी के 'स्याद्वाद जैन महाविद्यालय' ने अपनी अहम भूमिका निभाई। सन् 1930 के सत्याग्रह के समय इस विद्यालय के कई छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया । विद्यालय के काफी जैन छात्रों ने गर्मी की छुट्टियों में घर जाना छोड़कर सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना दिया । सन् 1932 की विलिंग्डनशाही में जब काशी में गोलियों की बौछारें हुई, उस समय भी जैन छात्रों ने जान की परवाह न करते हुए पूरा मोर्चा लिया। उस समय कई छात्रों को खोजने विद्यालय के आचार्य और गृहपति रातभर घूमते रहते थे। घायल छात्रों को विद्यालय में लाकर उपचार किया जाता था । उन गुरूजनों के स्नेह का ही यह फल था कि जुलूस में आगे होने के कारण वे जैन छात्र गिरफ्तार कर लिये गये और वे मातृभूमि के लिए बलिदान होने अथवा आहत होने के सौभाग्य से वंचित रह गये 16 स्याद्वाद जैन महाविद्यालय के छात्रों ने मंदिरों में विदेशी वस्त्र लाने पर पूर्ण पाबंदी लगाने हेतु अथक परिश्रम किया । 'दिगम्बर जैन' पत्रिका के तत्कालीन अंक के अनुसार काशी में जैन छात्र संघ ने मंदिरों में विदेशी वस्त्र न लाने हेतु धरना दिया, उन्हें 4 दिन बाद सफलता मिल पायी। 157 अमोलकचंद जैन तथा खुशालचन्द्र जैन (गोरावाला) ने इस दौरान जेल यात्रायें की और ब्रिटिश सरकार को कड़ा जवाब दिया । अमोलकचंद जैन सन् 1926 में कांग्रेस के सदस्य बन गये थे। 158 उन्होंने सन् 1929 में प्रथम श्रेणी में वकालत पास करने के बाद काशी की अदालतों में अपनी युक्ति और प्रतिभा की छाप छोड़ी। सन् 1930 का द्वितीय स्वतंत्रता संग्राम प्रारम्भ होते ही उन्होंने सभी राजनैतिक मुकदमे निःशुल्क लड़ने प्रारम्भ कर दिये । इसके कारण अंग्रेजी सरकार की नजरों में वे खटक गये। श्री जैन ने सरकार द्वारा भारतीय कैदियों पर जेलों में हो रहे भीषण अत्याचारों का भंडाफोड़ कर दिया । इस बात पर क्रोधित होकर सरकार ने उन पर दफा 500 में मुकदमा चलाया तथा 500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। 159 अमोलकचन्द जैन ने कांग्रेस के आन्दोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा सन् 1932 में इस आन्दोलन के अंतर्गत जेल यात्रा की। 160 श्री जैन सन् 1937 में बनारस राजनैतिक सभा के सचिव बने । 11 इस सभा की अध्यक्षता गोविन्द वल्लभ पन्त ने की थी । इस सम्मेलन ने काशी में स्वतंत्रता आन्दोलन की लहर चलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । 162 इसी प्रकार 1938-39 में श्री जैन संयुक्त प्रान्त के शिक्षा मंत्री बाबू सम्पूर्णानन्द के प्राइवेट सेक्रेट्री रहे। 163 उस समय उन्होंने पूरे संयुक्त प्रान्त में भ्रमण करके स्वतंत्रता सेनानियों को प्रोत्साहित किया तथा जैन समाज में नये युवाओं को राष्ट्रीय आन्दोलन से जोड़ा । 114 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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