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________________ दबाव के कारण पॉलिटिकल एजेन्ट ने किसानों को मौरूसी पट्टे दिलाने तथा बेगार न लेने के लिए राजा को आदेशित किया। इस प्रकार श्री जैन के प्रयास सफल हुए। पंचमलाल जैन ने इसके बाद 1930 के आन्दोलन में भी सक्रिय भाग लिया। इस दौरान वे अपनी पत्नी सहित झाँसी गये और वहाँ वे सपरिवार कांग्रेस के सदस्य बने। इन्होंने मऊरानीपुर आंदोलन में भाग लिया। सन् 1931 में श्री जैन ललितपुर गये और वहाँ आन्दोलन में पूर्ण रूप से शामिल होकर उन्होंने सत्याग्रह किया। बार डोली सत्याग्रह जुलूस निकालने पर वे गिरफ्तार हुए और उन्होंने 3 माह की सजा पायी। ___ झाँसी के दुरवई राज्य के स्वतंत्रता आन्दोलन में गिरधारीलाल जैन का प्रमुख योगदान रहा। दुरवई राज्य (झाँसी) में स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख कार्यकर्ता श्री प्रभुदयाल सक्सेना, गिरधारीलाल जैन आदि थे। जिन्होंने सक्रिय रूप से राज्य के अत्याचारों व नीतियों के विरुद्ध जंगल सत्याग्रह व लगान बंदी आदि आन्दोलन में भाग लिया। खानियाधाना स्टेट में स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल रतनचन्द जैन ने बजाया। उन्होंने अनेक कष्ट सहकर भी पीछे की ओर कदम नहीं बढ़ाये। उनके विषय में उल्लेख मिलता है कि रतनचन्द्र जैन खानियाधाना के एक राष्ट्रभक्त कार्यकर्ता थे। उनके विरुद्ध रियासत ने हिन्दू-जैन का संघर्ष रचवाया और उन्हें इसका कारण बनाकर निर्वासित कर दिया। श्री जैन अपने घर गये, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।105 झाँसी में चारों ओर जहाँ भी जैन समाज थी, वहीं कोई न कोई जैन स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख मिलता है। ललितपुर क्षेत्र भी जैन समाज द्वारा आजादी की लड़ाई में दिये गये योगदान का गवाह बना। मथुराप्रसाद जैन, वृन्दावनलाल जैन 'इमलिया', कपूरचन्द जैन, गोविन्ददास जैन सिंघई आदि जैन कार्यकर्ताओं ने व्यापक संघर्ष किया और जेल गये। ___मथुराप्रसाद जैन 'वैद्य' के बारे में नगरपालिका परिषद् ललितपुर की पुस्तक में उल्लेख मिलता है कि ललितपुर क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में उनका श्रेष्ठ स्थान था। श्री जैन महात्मा गाँधी के निकट सम्पर्क में रहे और उन्होंने वेंकटेश्वर प्रेस बम्बई में रहकर भी राष्ट्रीय आन्दोलन में सहयोग दिया। श्री जैन को लोकमान्य तिलक, श्रीमती ऐनीबीसेंट, लाला लाजपतराय जैसे राष्ट्रीय नेताओं का सत्संग मिला। सन् 1930 में ही श्री जैन शराब बंदी के लिए धरना करते हुए गिरफ्तार हुए तथा ललितपुर व उरई मथुराप्रसाद जैन 104 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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