SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पहले की जा चुकी है । दीपमाला का वास्तविक स्वरूप जब हमारे सामने आता है तो निस्सन्देह यह मानना पड़ता है कि यह पर्व आध्यात्मिक होने के साथ ही साथ एक राष्ट्रीय पर्व भी है। यह जहां मानव को आध्यात्मिक प्रकाश पुज प्राप्त कर लेने की पवित्र प्रेरणा प्रदान करता है, वहां राष्ट्रियभाव का भी संचार करता है। ___ मनु य यदि ग्राम का वासी है तो उसे यह सभ्य और प्रामाणिक प्रामीण बनकर रहने की प्रेरणा देता है और यदि नागरिक है तो उसे आचार, विचार, आहार और व्यवहार की दृष्टि से सुसंस्कृत और पबित्र रहकर उज्ज्वल जीवन व्यतीत करने को प्रेरित करता है। नगरों का समूह प्रान्त है और प्रान्तों की इकाई राष्ट्र कहलाती है। ग्रामों और नगरों की प्रामाणिकता प्रान्त की प्रामाणिकता है, और प्रान्तों की प्रामाणिकता से राष्ट्र प्रामाणिक बन जाता है। इस प्रकार ग्राम्य, नागरिक और प्रान्तीय मानव जीवन का निर्माण ही राष्ट्र का निर्माण है । जिस पर्व से ग्राम्य, नागरिक और प्रान्तीय जीवन का निर्माण होता है, वह स्वतः राष्ट्रीय पर्व बन जाता है। दीपमाला पर्व का उद्गम और स्वरूप श्राचार, विचार, आहार और व्यवहार की दृष्टि से ग्राम्य, नगर तथा प्रान्त के मानव जीवन को प्रामाणिक, सात्विक और उन्नत बनाने की प्रेरणा देता है, उसे आध्यात्मिक उच्चता की चोटियों के मह्यमन्दिर पर ले जाने की ओर संकेत करता है, फलतः वह आध्यात्मिक पर्व होने के साथ-साथ राष्ट्रिय पर्व भी है। उसकी राष्ट्रियता में किमी प्रकार का सन्देह नहीं किया जा सकता।
SR No.022854
Book TitleDipmala Aur Bhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy