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________________ जैनाचार्यों की प्रेरणा से जीवों के कल्याण हेतु अकबर द्वारा... 45 कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया तो सूरिजी ने इसे भी इंकार कर दिया। इतने में गुरुदेव ने स्वयं ऊनी-वस्त्र बिछाकर जमीन पर ही आसन ग्रहण कर लिया। अकबर भी साथ ही जमीन पर आसीन हुआ और धर्मोपदेश पर चर्चायें प्रारम्भ हुईं। सूरिजी ने उक्त प्रश्नों का दृढ़ता से खंडन किया। कालान्तर में अकबर ऐसे जिन शासन का धर्मलाभ पाकर धन्य हो गया और अपार धन, हाथी, घोड़ा व रथ आदि देने की उत्सुकता व्यक्त की। परन्तु आप ने लेने से साफ इंकार कर दिया। दूसरे वर्ष पू० गुरुवर श्री का चातुर्मास प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगरी आगरा में होना निश्चय हुआ। आप सहर्ष शिष्यों के साथ यहाँ पधारे। आप की अनुमति लेकर आगरा के श्रावक-मंडल ने पर्युषण काल में जीव हिंसा बन्द करवाने बाबत् बादशाह के पास पहुंच गये। बादशाह ने उक्त तथ्य को सहर्ष स्वीकार कर आठ दिनों तक हिंसा बंद का फरमान निकलवाया। हीर सौभाग्य संकलन आदि जैन ग्रन्थों में इसकी विस्तृत विवेचना की गयी है। तत्पश्चात् 1582 ई० का चातुर्मास पूर्ण होने पर बादशाह ने स्वयं जाकर जनहित कल्याणार्थ हेतु सेवा याचना की गुहार लगायी। ऐसा अवसर प्रायः कम मिलता, अतः म० सा० ने शुभ मुहूर्त का अवलोकन कर कई महीनों से कारागार में बंद पक्षियों को मुक्त करने का अनुरोध किया। अकबर ने इसको भी सहर्ष स्वीकार कर लिया। इसका विस्तृत वर्णन 'गुर्जर काव्य संचय' में उपलब्ध है। कालान्तर में पू० सूरिजी ने अवसर पाकर पर्दूषण के आठ दिनों में भारत के सम्पूर्ण राज्यों में जीव हिंसा बन्द करने का फरमान जारी करने का आध्यात्मिक उपदेश दिया, जिसमें अकबर भी मौजूद था। अत: बादशाह ने सर्व धर्म कल्याण हेतु चार दिन और जोड़कर (भादवा वदी दशमी से सुदी छठीं तक) कुल बारह दिनों के लिए 'जैनाचार्यों की प्रेरणा से जीवों के कल्याण हेतु एक विस्तृत फरमान' जारी करने का आदेश दिया। अति शीघ्रता से आदेश का पालन किया गया। जैन साहित्यों से ज्ञात होता है कि उक्त फरमान की कुल - 06 नकलें जारी की गयीं जो क्रमशः गुजरात व सौराष्ट्र, दिल्ली व फतेहपुर, अजमेर व नागौरी, मालवा व दक्षिणी देश, लाहौर व मुल्तान प्रदेश तथा पू० आचार्य श्री हीरसूरिजी म. सा.' आदि को सौपी गयीं।
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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