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________________ 71 बौद्ध धर्म की अमूल्य धरोहर : अजंता नूतन यादव भारतीय कला एवं स्थापत्य बौद्ध धर्म का अत्यधिक ऋणी है। अनेक शासकों ने बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर स्तम्भों, स्तूपों, चैत्यों, गुफाओं, मूर्तियों आदि का निर्माण करवाने में अत्यधिक रूचि ली। बौद्ध भिक्षुओं के आवास के लिये भारत के विभिन्न भागों में चट्टानों को काटकर शैल गुहाओं का निर्माण कराया गया। बोधिसत्व तथा बुद्ध की स्मृति में अनेक स्तूप बनवाये गये तथा उनपर बुद्ध के जीवन की विविध घटनाओं को अंकित किया गया। अजंता, एलोरा तथा बाघ की पर्वत गुफाओं के निर्माण की प्रेरणा बौद्ध धर्म से ही मिली थी। बौद्ध धर्म से सम्बन्धित अनेक ऐसे धार्मिक स्थल स्थापित हुए जहाँ स्तूपों चैत्यों, मंदिरों और प्रतिमाओं का निर्माण हुआ। राजवंशों, श्रेणियों तथा जनसाधारण द्वारा दिये गये प्रोत्साहन और संरक्षण से इन केन्द्रों में वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला इत्यादि का अत्यधिक विकास हुआ। बौद्ध धर्म के ऐसे प्राचीन स्थलों में अजंता का स्थान अद्वितीय है। अजंता की सभी शैल गुफायें सापत्य, शिल्प तथा चित्रकला की दृष्टि से बौद्ध धर्म से सम्बन्धित हैं। इनमें से कुछ गुफाओं का सम्बन्ध बौद्ध धर्म के हीनयान सम्प्रदाय से है और कुछ गुफाओं का सम्बन्ध महायान सम्प्रदाय से है। अजिण्ठा, जो वर्तमान समय में अजंता के नाम से विख्यात है, महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में बाघोरा जल प्रपात के निकट एक अर्द्धचन्द्राकार पर्वत है, जिसमें बौद्ध धर्म के उन्तीस गुहा चैत्यगृह और विहार हैं। अजंता के शैल गृहों की खुदाई का काम ईसा पूर्व द्वितीय अथवा प्रथम शताब्दी में प्रारम्भ हुआ और सातवाहनों के प्रबुद्ध संरक्षण में यह कार्य ईस्वी सन् की प्रारम्भिक
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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