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________________ 70 भारतीय संस्कृति पर बौद्ध प्रतीकों का प्रभाव पुष्पलता कीर्ति समाज के सुचारू संचालन के लिये आवश्यक है कि मन सही गति से चले, बुद्धि का विकास हो, चित्त का संस्कार बने और मनुष्य सुसंस्कृत हो । कैसिरेर ने मनुष्य को प्रतीकात्मक पशु माना है। अर्थात् समाज की हर अच्छाई बुराई का कारण प्रतीक होता है। ईश्वर की प्रतीकात्मक सत्ता का एकीकरण करना होगा। बौद्ध धर्म की प्रगति ने भारतीय सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनैतिक जीवन के विभिन्न पक्षों को अनुप्राणित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया । उदाहरणार्थ विष्णु के 24 अवतार, जैनों के 24 तीर्थंकर, बौद्धों के 24 बोधिसत्व और सांख्य के 24 तत्वों को सारनाथ के स्तम्भ शिखर के धर्मचक्र में 24 अर में भी दिखाए गये । यही चक्र एक विश्वव्यापी तत्त्व का प्रतीक बना जो आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। 'सत्यमेव जयते' जिस पर लिखा है, तथा राष्ट्रध्वज के चक्र की 24 तिलियां भी यही उद्देश्य दर्शाती हैं । बौद्ध धर्म के रूप में भारत को एक लोकप्रिय धर्म मिला जिसे जटिल, विस्तृत तथा गूढ़ कर्मकाण्डों की आवश्यकता नहीं थी, जो केवल पुरोहित वर्ग के द्वारा ही सम्मान किये जा सकते हैं। हिन्दू धर्म के व्यक्तिगत देवताओं की पूजा करने, उनके मूर्तियां बनाने और विभिन्न देवताओं से सम्बन्धित मन्दिरों का निर्माण करने सम्बन्धी धार्मिक विश्वासों को महायान बौद्धों से ही अनुकरण किया गया था। ध्यातव्य है कि भरहुत सांची के प्रदर्शनों से महादेवी का स्वप्न सफेद गज के रूप में प्रकाशित किया गया। इसी प्रकार बौद्ध धर्म में अनेक
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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