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________________ बौद्ध विश्वविद्यालय नालन्दा का व्यवस्थापन 7 देती थी। वह आधुनिक 'विद्यापरिषद' (एकेडमिक कौंसिल) के समान थी। विश्वविद्यालय के प्रवेश, पाठ्यविषय, शिक्षकों के कार्यक्रम आदि में यह समिति परामर्श देती थी। मुद्रण यन्त्रों का अविष्कार न होने के कारण पुस्तकालय का महत्व अत्यधिक था। पुस्तकालय पर ही पुस्तकों के संग्रह - संरक्षण तथा प्रकाशन का भी भार था। विभिन्न छात्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये अनेक पुरानी पुस्तकों के लिए नया रूप देना पड़ता था तथा उनकी प्रतिलिपियां भी करानी पड़ती थीं। इन सभी दायित्वों का भार पुस्तकालय की प्रबन्ध समिति पर था। पुस्तकों की प्रतिलिपि करते समय इस तथ्य की ओर विशेष ध्यान देना पड़ता था कि प्रतिलिपि त्रुटिपूर्ण तो नहीं बन रही है। इस कार्य का सम्पादन प्रायः अध्यापकों और छात्रों द्वारा होता था, किन्तु प्रतिलिपि करने के लिये अन्य कार्यकर्ता भी रहते थे। पुस्तकालय का उपर्युक्त समस्त कार्य संचालन इसी प्रथम समिति (विद्या परिषद्) द्वारा होता था। विश्वविद्यालय की आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था दूसरे प्रकार की समिति करती थी। विश्वविद्यालय के आर्थिक स्रोत के रूप में विभिन्न नरेशों द्वारा अनेक गांवों का राजस्व प्रदान किया गया था। इत्सिंग के यात्रा काल (675 से 685) में दो सौ गांवों को विश्वविद्यालय के लिए दान किया गया था। जिनकी आय से यहाँ के भिक्षु कार्यकर्ताओं और अध्येताओं का पोषण होता था। राजाओं द्वारा विश्वविद्यालय को अर्पित किये गये गांव से सम्बद्ध मुहरें और अभिलेख उत्खनन में प्राप्त हुए हैं। ह्वेनसांग की जीवनी के अनुसार राजा (हर्ष) विहार के भरण-पोषण के लिए एक सौ गांव की मालगुजारी जागरी में दे रखी थी। इन गांवों के दो सौ गृहस्थ प्रतिदिन कई सौ पिकल (एक पिकल = लगभग 60 किलोग्राम) चावल और कई सौ कट्टी (एक कट्टी = लगभग 70 किलोग्राम) घी और मक्खन दिया करते थे। अतः यहाँ के अध्यापकों और विद्यार्थियों को सभी वस्तुएं इतनी अधिक मात्रा में प्राप्त हो जाती थीं कि उन्हें कहीं जाना पड़ता था। इन गांवों की देख-रेख उनके उपज की ठीक व्यवस्था करना, इसी समिति का कार्य था। आर्थिक व्यवस्था को इस प्रकार रखा जाता था कि दैनिक आवश्यकता की सभी वस्तुएं हर समय उपलब्ध रहती थीं। विश्वविद्यालय
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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