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________________ 60 वर्तमान युग में बुद्ध के मानव धर्म की उपादेयता पंकज कुमार श्रीवास्तव बौद्ध धर्म न केवल एक धर्म दर्शन है, अपितु राजनीतिक-सामाजिक संदर्भो से जुड़ने वाला यथार्थधर्मी विचार है। एक ऐसा विचार जहाँ से परिवर्तनकारी आलोचना के विवेक का निर्माण होता है। यद्यपि यह धर्म भारतीय परम्परा और संस्कृति के बीच उन कठिन समस्याओं से टकराकर बना था, जो पुरोहिती - सामंती गठजोड़ के परिणाम थे। कर्मकांड, यज्ञादि में बलिप्रथा, दान-प्रथा, जात-पात, ऊँच-नीच, भेद-भाव और अंधविश्वास के खिलाफ यह एक चुनौती भरा आह्वान था, जिसने भारतीय भूगोल का अतिक्रमण कर पूरे वैश्विक भूगोल पर अपना गहरा प्रभाव बनाते हुए सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूपान्तरण में अपनी महती भूमिका निभाई। कार्य-कारण के सिद्धान्त (प्रतीत्य समुत्पाद) और 'द्वादश निदान' एक वैज्ञानिक जीवन दशाष्टि है। बुद्ध ने मानव-दुःखों से पूर्ण निवृत्ति को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। मनुष्यों के दुःख के कारणों एवं उनको दूर करने के उपायों के प्रचार-प्रसार में सर्वस्व समर्पित कर दिया। गौतम बुद्ध का विलक्षण व्यक्तित्व प्राणिमात्र के लिए करुणा, शान्ति तथा मृत्यु पर विजय पाने की दृष्टि से हृदय को स्पन्दित ही नहीं करता। बुद्ध का संदेश आज भी न केवल भारत में वरन् सम्पूर्ण विश्व में उतना ही सार्थक है जितना बुद्धकाल में।' उनके इस दृष्टिकोण ने ही बौद्ध धर्म को लोकप्रियता प्रदान की। बुद्ध का हृदय अत्यन्त उदार था। वे अजातशत्रु थे। बुद्ध सच्चे अर्थों में समदर्शी थे। मानव जाति के लिए उनके हृदय में असीम
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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