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________________ बौद्ध परम्परा में प्रतीकवाद 359 समस्या उत्पन्न हुई की मानव रूप में उनका अंकन कैसे हुआ। स्तूप एवं चैत्यों के रूप में उनको पहले से ही स्वीकृत कर दिया गया था। अतः अन्य प्रतीकों के द्वारा उन्हें प्रदर्शित करने में भला क्या आपत्ति हो सकती थी । अतः शुंग सातवाहन कला में बुद्ध का चित्रण अन्यान्य प्रतीकों के माध्यम से किया गया। प्रतीकों का निर्धारण उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं के आधार पर किया गया। जन्म के लिए गज, कमल, वृषभ को स्वीकार किया गया। महाभिनिष्क्रमण का प्रतीक अश्व अथवा हार बन गया। बौद्ध धर्म में बुद्ध के जीवन की घटनाओं से सम्बन्धित जिन पशुओं का प्रतीक रूप में अंकन किया गया उनकी मौलिकता की परम्परा बहुत पुरानी है । सिन्धु घाटी सभ्यता से ही इन पशुओं का महत्वपूर्ण अंकन पाया जाता है। इन्हें बुद्ध के जन्म, कुल निष्क्रमण और राशि का प्रतीक माना जाता है ये पशु चार दिशाओं के प्रतीक हैं गज पूर्व दिशा का, वृषभ पश्चिम का, सिंह उत्तर का और अश्व दक्षिण दिशा का । इन चारों आकृतियों के बीच एक-एक धर्म चक्र की आकृति भी है जो चार दिशाओं के प्रतीक हैं और इन्हीं से चक्रवर्ती सम्राट के चक्र का भाव प्रकट होता है। इस प्रकार बौद्ध धर्म में जो प्रतीक चिन्ह लिए गये वे पूर्ववर्ती प्राचीन भारतीय परम्परा में विद्यमान थे । बौद्ध धर्म के उदय के पश्चात् इन प्रतीकों को परिष्कृत रूप में स्वीकार कर लिया गया । सम्बोधि को प्रदर्शित करने हेतु बोधि-वृक्ष को प्रतीक माना गया । धर्मचक्र प्रवर्तन की घटना चक्र द्वारा अंकित की गयी और निर्वाण के लिए स्तूप और चैत्य पहले से ही प्रतीक के रूप में स्वीकार कर लिये गये थे । अतः इस काल की कला में जहाँ भी बुद्ध की उपस्थिति प्रदर्शित करनी थी। इनमें से किसी प्रतीक का सहारा लिया गया ! साथ ही लोक धर्मों में व्याप्त गन्ध, पुष्प आदि के अर्चन करने की क्रिया भी बौद्ध धर्म में प्रविष्ट की गयी थी । अतः इस काल कला में अनेक स्थानों पर इन प्रतीकों की इस विधि से अर्चना करते हुए प्रदर्शित किया गया। ये प्रतीक देवता की उपस्थिति का आभास कराते थे । अतः इस प्रकार बौद्ध धर्म में प्रतीकों का विशिष्ट योगदान रहा है। । सन्दर्भ 1. रामशरण शर्मा, प्राचीन भारत, पृ० संख्या - 105 ।
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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