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________________ अहिंसा का सिद्धान्त और उसकी वर्तमान प्रासंगिकता 337 निष्कर्षत यह कहा जा सकता है कि अहिंसा का सिद्धान्त जो भारतीय संस्कृति का मूलाधार है उसे आधुनिक युग में वैश्विक धरातल पर स्थापित करने का श्रेय महात्मा गांधी को जाता है। गांधीजी ने अहिंसा के सिद्धान्त के माध्यम से विश्व को मानववाद का संदेश दिया। उनके द्वारा प्रतिपादित साध्य और साधनों की पवित्रता के सिद्धान्त का महत्व आज भी बरकरार है। इससे वर्तमान अनैतिक राजनीति को नियंत्रित किया जा सकता है और परमाणु विनाशकारी शस्त्रों के ढेर पर खड़े संत्रस्त विश्व के दूषित वातावरण को शुद्ध किया जा सकता है। भारत और विश्व के सामने वर्तमान चुनौतियों के सन्दर्भ में गांधी के विचारों का नवीन अर्थ एवं उनके नवीन सन्दर्भो में उपयोगिता उभरकर सामने आती है। यही गांधी चिन्तन का रहस्य भी है। नैतिक पतन, अनास्था, असंतुलन, संकीर्णता और वैमन्सय के इस वातावरण में महात्मा गांधी के विचारों की प्रासंगिकता और अधिक है। यदि आज भी हम उनके द्वारा बताए गये सिद्धान्तों का पालन करें तो आपसी भेदभव और कलह बहुत सीमा तक दूर हो जाएगा और सम्पूर्ण विश्व में शान्ति, बन्धुत्व, प्रेम और सहिष्णुता का साम्राज्य स्थापित होगा। संदर्भ 1. के० सी० श्रीवास्तव, प्राचीन भारत का इतिहास एवं संस्कृति, पृ० 842 2. ए० एल० बाशम, ए वण्डर दैट वाज इण्डिया, पृ० 256 3. डॉ० ऋषिकेश सिंह, प्रतिनिधि राजनीतिक विचारक, पृ० 522 4. रोमां रोलॉ, महात्मा गांधी की जीवनी से अनुवादक पी० सी० ओझा, पृ० 26 5. रोमां रोलॉ,ला-इण्डे (फ्रेन्च डायरी), अनुवादक-लोकभारती प्रकाशन, द्वारा प्रकाशित 6. डॉ० ऋषिकेश सिंह, प्रतिनिधि राजनीतिक विचारक, पृ० 523 7. महात्मा गांधी, यंग इण्डिया, वाल्यूम दो, पृ० 970 8. महात्मा गांधी, यंग इण्डिया, 25-08-1920, पृ० 02 9. फ्राम यर्वदा मंदिर बाई एम० के० गांधी, नवजीवन प्रेस, अहमदाबाद, द्वितीय संस्करण 1935, पृ० 13 10. महात्मा गांधी, हरिजन 28-03-1936, पृ० 49 11. महात्मा गांधी, हरिजन 11-02-1939, पृ० 08
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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