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________________ 45 बुद्धकाल में भारत की राजनीतिक तथा सामाजिक व्यवस्था प्रवीण कुमार मिश्र राजनीतिक परिवेश बुद्ध के जन्म काल से पूर्व जम्बूद्वीप (भारत) सोलह राज्यों में विभक्त था। उस समय यहाँ दो प्रकार की शासन प्रणालियां प्रचलित थीं। 1. राजसत्तात्मक राज्य, 2. गणराज्य और संघ राज्य । गण और संघ में कोई तात्त्विक अंतर नहीं था। गण अथवा संघ प्रणाली में सत्ता कुछ-कुछ लोगों में निहित होती थी जब कि राजसत्तात्मक प्रणाली में सत्ता की बागडोर एक ही व्यक्ति के हाथ में रहती थी। गणतंत्रीय प्रणाली 'महाजन ' सत्ता युक्त होती थी। इन महाजनों को 'राजा' कहा जाता था और इनके अध्यक्ष को महाराजा । बुद्ध के समय में यह महाजनात्मक पद्धति धीरे-धीरे नष्ट हो रही थी और उसका स्थान एकसत्तात्मक ( राजसत्तात्मक) राज्य-पद्धति लेती जा रही थी । बौद्ध ग्रन्थों में जिन 16 राज्यों का वर्णन बार-बार आया है, वे इस प्रकार हैं : 2. 1. अंग राज्य : यह प्रदेश भारत में मगध के पूर्व में स्थित था और इसकी राजधानी आज के भागलपुर (बिहार) के निकट चम्पा थी । बुद्ध के समय यह राज्य मगध के अधीन था और बौद्ध ग्रन्थों में इस आशय का कोई प्रमाण नहीं मिलता कि बाद के वर्षों में यह स्वतंत्र हो गया । हाँ, बहुत पहले यह निश्चित ही एक स्वतंत्र राज्य था और पड़ोसी राज्यों के साथ इसके युद्ध होते रहते थे । मगधः बुद्ध के समय में यह एक शक्तिशाली राज्य था । संभवतः उत्तर
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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