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________________ 286 श्रमण-संस्कृति कालीन कला में निर्मित अनेक मूर्तियों में मिलता है। इस प्रकार हिमालय के तराई में स्थित इस क्षेत्र (जसवल) से उपलब्ध उपर्युक्त प्रतिमा क्षेत्र को सौर सम्प्रदाय का एक सशक्त केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठित करने में पूर्ण सहयोग कर रहा है। जसवल क्षेत्र से प्राप्त भगवान भास्कर की एक कृष्ण पाषाण निर्मित द्वितीय मूर्ति भी अपनी अर्चा विज्ञान की दृष्टि से अलौकिक है। देवता समभंग मुद्रा पीठिका पर स्थित है। उनके मुख पर शांत भाव विद्यमान है। वे रत्न जड़ित कीरिट मुकुट वृत्ताकार कर्णाभरण ग्रेवेयक कटिबन्ध एवं मणिबन्ध से अलंकृत हैं। उदिच्य वेष में देवता का अंक किया गया है। चरणों में उपानह, वक्ष पर वर्म एवं दोनों भुजाओं में पूर्ण विकसित पद्म है। जो स्कन्धों के ऊपर स्थित है। उल्लेखनीय है कि पद्म की नाल को तीन शाखाओं में निर्मित किया गया है अर्थात् त्रिनाल युक्त उत्कीर्ण किये गये हैं जिनका अन्तिम शिरा एक मोटे नाल में आबद्ध है। देवता के दोनों पार्श्व में ऊषा प्रत्युषा धनुष बाण लिये खड़ी है। वामवर्ती आकृति के रण वेणुगोपाल मूर्तियों के समान त्रिभंगी मुद्रा में अंकित है। परन्तु दक्षिणवर्ती मूर्ति के चरण भिन्न मुद्रा में हैं। यह नारी का वाम पाद भूमि पर स्थित है तथा दक्षिण चरण घुटने से मुड़कर वाम पाद के घुटने पर रखा हुआ है। देवियां करण्ड मुकुट, सभी आभरणों एवं सारिका द्वारा अलंकृत है। ऊषा प्रत्युषा, के दोनों पार्श्व में एक-एक नारी मूर्ति है। जो संभवत अनुचरियों की है। देवता के दोनों पार्श्व में मालाधारी विद्याधर उपस्थित है तथा परिकर के शिर्ष के ऊपर कीर्तिमुख को भी प्रदर्शित किया गया है। यह प्रतिमा गहड़वाल कालीन प्रतीत होती है परन्तु कलाकार ने कतिपय अंकन अपनी निजी सूझ-बुझ के आधार पर किया है जैसे पूर्ण विकसित पद्म त्रिनाल का प्रदर्शन जो अन्त में एक नासल में आबद्ध हो गया है तथा ऊषा प्रत्युषा के चरणों के अंकन की शैली भी भिन्न प्रकार से प्रदर्शित की गयी है। ये दोनों ही तत्व सूर्य प्रतिमा की निजी विशिष्टता बन जाते हैं। देवता यज्ञोपवीत के साथ विशाल माला धारण किये हुए हैं जो उनके घुटने तक लटक रही है। अधोवस्त्र के रूप में धोती की चुन्नटों का अंकन भी कलाकार ने सूक्ष्म रूप से किया है। देवता को सम्पूर्ण देहयष्टि सौर्यवान युवा मानव के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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