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________________ प्राचीनतम् बौद्ध संघ और काशी 253 बुद्ध के उपदेश एवं प्रतिभा से प्रभावित होकर पहले यशपिता उपासक बने, तदनन्तर उन्होंने भिक्षु संघ के साथ बुद्ध को घर पर आमंत्रित कर भोजन कराया और उनके दानकथा, शील कथा सम्बन्धी उपदेशों से प्रभावित होकर यश माता और यश की पूर्व पत्नी भी उपासिका बनी। इनमें प्रत्येक के बुद्ध, धर्म और संघ की शरण के रूप में त्रिशरण-गमन पद्धति से उपासक बनने की चर्चा है। इसी प्रकार यश पिता के प्रथम उपासक तथा यश माता के प्रथम उपासिका होने का स्पष्ट उल्लेख है। यश जैसे समृद्ध व्यक्ति की संघ-दीक्षा उसके मित्रों एवं सम्बन्धियों के लिए अद्भुत घटना थी, अतः वे भी आकृष्ट हुए। प्रथमतः उसके चार गृही, मित्र, विमल, सुबाहु आदि ने तथा बाद में यश के अन्य 50 मित्रों एवं सम्बन्धियों ने संघ में प्रवेश लिया। वे शीघ्र ही अर्हत बने। इस प्रकार वाराणसी की प्रथम यात्रा में शीघ्र ही बुद्ध को 60 अर्हता अनुयायी एवं अनेक गृही उपासक प्राप्त हुए। बुद्ध ने यही भिक्षुओं को स्वयं की तरह मानुष बन्धनों से मुक्त होने के लिए प्रयास करने का उपदेश दिया तथा भिन्न-भिन्न दिशाओं में अनेक लोगों के कल्याण के लिए धर्मचारिका करने के लिए उद्बोधन किया। भिक्षुओं के माध्यम से सद्धर्म प्रचार का यह प्रथम ठोस प्रयास था। ऋषिपत्तन मृगदाव की प्रथम यात्रा में ही बुद्ध ने भिक्षुओं को भी, एक विशेष पद्धति के तहत त्रिशरण गमन पद्धति द्वारा दीक्षा सम्बन्धी औपचारिकताएँ पूर्ण करने का निर्देश दिया। ___ बुद्ध ने अनुयायी भिक्षुओं के साथ वाराणसी की कई और यात्राएं भी की जिनमें उन्हें वाञ्छित श्रद्धा-सत्कार मिला। यहाँ के सुप्रिय उपासक-उपासिका की सद्धर्म-श्रद्धा विदित है। विनय पिटक के अनुसार एक बौद्ध भिक्षु के स्वास्थ्य - लाभ के लिए सुप्पिया ने अपना मांस तक दे दिया था और इसी अवसर पर बुद्ध ने अपने भिक्षुओं के लिए मानव मांस के भक्षण का निषेध किया। यहीं उन्होंने कुत्ते, घोड़े, सर्प, जैसे जीव जन्तुओं के मांस-भक्षण के विरोध में भी नियम बनाया। यह स्थल 500 उपासकों के साथ धम्यदिन्न के बुद्ध के दर्शन के लिए आने तथा उनके धम्मदिन सुत से प्रभावित होने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार वाराणसी में बुद्ध और उनके अनुयायियों के
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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