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________________ 250 श्रमण-संस्कृति थे। इसी तरह 12 ज्योर्तिलिंगों का भी महत्व 12वीं शताब्दी के बाद स्थापित हुआ प्रतीत होता है। इस सम्बन्ध में उल्लेखनीय यह है कि प्रत्येक तीर्थ करने वाला व्यक्ति पद यात्रा करता था। कुछ लोग ही तीर्थयात्रा में साधनों का उपयोग करते थे। उस समय कुछ तीर्थस्थल पर जाने के लिए सड़कें भी नहीं थीं। तीर्थयात्रिओं को गुजरते समय प्रायः लुटेरों का भी सामना करना पड़ता था, फिर भी तीर्थ यात्री इहलोक से मुक्ति के लिए कठिनाईयों एवं संघर्षों का सामना करते हुए बराबर तीर्थयात्रा जारी रखते थे। संदर्भ 1. आर० एन० पिल्लई - टूर एण्ड पिलग्रिमेज इन इण्डिया, पृ० 18 2. बी० पी० मजुमदार - सोसियो इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, पृ० 18 3. ऐपिरॅफि इण्डिका XX, 127 4. पी०वी० काणे- हिस्ट्री आप धर्मशास्त्र खण्ड-4, पृ० 77, वाराहपुराण - 152-62-154-29 5. ऐपिरॅफि इण्डिका, III, 46-50 6. वही, ग्प्टए 194 7. जर्नल ऑफ यू०पी० हिस्टरिकल सोसाइटी, XIV 1941, पृ० 70 इण्डियन ऐन्टीक्योरी, XVIII 130 8. कीर्तिकौमुदी, IX, 2 9. जीमूत् वाहन - कालविवेक, पृ० 351 10. ऐपिग्रैफि इण्डिका,XXV, 312-313 11. वही, I, 271-287 12. शिवपुराण, I, 14-33, IV, 1-18, 21-24 13. तीर्थविवेचन, पृ० 93 14. स्कन्दपुराण, केदार खण्ड - 7, 31-33 15. मजुमदार-सोसियो इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ नार्दन इण्डिया, पृ० 330 16. कालविवेक, पृ० 323 17. मानसोल्लास, 28, पृ० 13 18. सोसियो इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ नार्दन इण्डिया, पृ० 326 19. डी० सी० सरकार - जर्नल ऑफ ओरियेन्टल रिसर्च, XVII, पृ० 209-215 20. सोसियो इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ नार्दन इण्डिया, पृ० 349
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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