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________________ 217 भारतीय चिन्तन और संस्कृति को बौद्ध धर्म का योगदान करता है, उसे उसका फल भोगना पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने द्वारा किये गये शुभ व अशुभ कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है - अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्। और यदि कोई मनुष्य दुष्कर्म नहीं करता तो उसकी मृत्यु व पुनर्जन्म नहीं होता है। वह जन्म मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर निर्वाण पद को प्राप्त हो जाता है। जिस प्रकार तेल तथा बत्ती के जलने से दीपक अपने आप ही बुझ जाता है, वह शान्त हो जाता है, उसी प्रकार वासना और अहंकार के क्षय होने से मनुष्य कर्म-बन्धनों से मुक्त हो जाता है। उसे परमशक्ति प्राप्त होती है। कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समाः। एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरेः।। (यजुर्वेद, 40/2) अतः भारतीय संस्कृति की अमृतधारा से ओत-प्रोत मनुष्य को कर्म करते हुये सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करनी चाहिये क्योंकि वांछित कर्मों को करते हुये व्यक्ति कर्म में लिप्त नहीं होता। बौद्ध धर्म में निर्वाण को जीवन का परम् लक्ष्य बताया गया है। निर्वाण का अर्थ है जीवन के मोह का अन्त, कष्टों का निवारण और अनन्त शान्ति की प्राप्ति। मानव समाज के कल्याण के लिये महात्मा बुद्ध ने पूरे समाज के लोगों को दो वर्गों में बांट था। एक समाज का वह वर्ग था जो अपने लिये मुक्ति व शान्ति की चाह रखता था और दूसरा वह वर्ग था जो गृहस्थ जीवन में प्रवेश करके सदाचारी बनकर नैतिक जीवन व्यतीत करना चाहता था। प्रथम वर्ग के लिये बुद्ध ने भिक्षु धर्म का समर्थन किया है। भिक्षु धर्म में अन्तः शुद्धि प्रधान है गृहस्थ धर्म में आचार प्रधान है। प्रथम में योग व ज्ञान द्वारा निर्वाण प्राप्त करने की योजना है दूसरे में समाज में सत्य सदाचार व पवित्रता के मार्ग पर चलकर शान्ति व सुखीजीवन यापन का उपाय है। धन का लोभ न करने, किसी दूसरे प्राणी से घृणा न करने, किसी को हानि न पहुंचाने, शुद्ध और पवित्र रहने, बुरी प्रवृत्तियों से निर्लिप्त रहते हुये समस्त प्राणियों की मंगल कामना व कल्याण करते हुये शुद्ध व सात्विक जीवन व्यतीत करना ही मनुष्य का कल्याण हो सकता है। मनुष्य को शारीरिक व वाचिक अहिंसा के साथ-साथ
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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