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________________ श्रमण-संस्कृति प्रचार-प्रसार समाज में तीव्रता से फैला और भारतीय समाज में धर्म के नाम पर निर्मित हुए छोटे-छोटे वर्ग बौद्ध भिक्षुओं एवं श्रमणों के उपदेश के परिणाम स्वरूप समाप्त हुए । भारत में सर्वप्रथम मठों की स्थापना बौद्ध धर्म द्वारा ही किया गया, क्योंकि बौद्ध धर्म के पूर्व संन्यासी जंगलो में जीवन व्यतीत करते थे । बौद्ध भिक्षुओं ने चैत्यों एवं विहारों में रहना प्रारम्भ किया था, जिसे कालान्तर में शंकराचार्य द्वारा सनातन धर्म में भी स्वीकार किया गया। बौद्ध धर्म ने शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रभाव डाला। बौद्ध संघ एवं विहार उच्च शिक्षा के केन्द्र होते थे, तक्षशिला, नालंदा, उदन्तपुरी, विक्रमशिला शिक्षा केन्द्रो की प्रसिद्धि भारत के बाहर अन्य देशों तक भी थी। बौद्ध शिक्षा केन्द्रों एवं उनसे सम्बद्ध विद्वानों द्वारा रचित पुस्तके भारतीय साहित्य की निधियाँ है जिनमें ललित विस्तर, मिलिन्द पञ्हों, चरित आदि उल्लेखनीय है । इस प्रकार भारतीय संस्कृति के विविध पक्षों पर बौद्ध धर्म का प्रभाव परिलक्षित है, जिसमें भारत के सामाजिक सांस्कृतिक साहित्यक, शैक्षणिक एवं कला स्थापत्य के विभिन्न पक्षों पर स्पष्ट प्रभाव द्रष्टव्य है। बौद्ध धर्म से प्रभावित होंकर कई शासकों ने स्तम्भ, स्तूप, चैत्य, लयण एवं मूर्तिया निर्मित कराया एवं अजंता एलोरा एवं बाघ की गुफाओं के चित्रों का निर्माण भी बौद्ध कथावस्तु के अनुसार किया गया। अतएव बौद्ध धर्म यद्यपि वैदिक धर्म के विरोध में अपना धार्मिक एवं वैचारिक आन्दोलन प्रारम्भ किया था, परन्तु दीर्घ अवधि तक दोनों ही एक दूसरों को प्रभावित करते रहे । 210 सन्दर्भ अल्टेकर, ए०एस०, स्टेट एण्ड गवर्नमेण्ट इन एंसिएंट इण्डिया । बाशम० ए०एल०, द वण्डर दैट वाज इण्डिया । 2 घोष, एन० एन०, प्राचीन भारत का इतिहास । काणे, पी० पी०, हिस्ट्री ऑफ धर्मशास्त्र भाग - 1 एवं 3 | पाण्डेय, जी० सी०, बौद्ध धर्म के विकास का इतिहास । उपाध्याय, भरत सिंह, बुद्धकालीन भारत ।
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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