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________________ 206 श्रमण-संस्कृति इसी क्रम में अंजनदानी प्रयोग का भी निर्देश दिया जो लोहे, तांबे, शंख एवं हाथी दांत निर्मित बताये जाते हैं। प्रारम्भ में अंजनदानियां खुली वर्णित हैं। परन्तु कालान्तर में ढक्कन की भी अनुमति प्रदान की गयी। बौद्ध साहित्य में पथ्यापथ्य सम्बन्धी नियमों के परिवर्तन एवं परिवर्द्धन की विस्तृत सूचना प्राप्त होती है। तत्कालीन श्रेष्ठ चिकित्सकों ने अनेक उपचारों का विधान बताया। बुद्ध भिक्षुओं की निःशुल्क चिकित्सा प्रचलित थी। भिक्षु-भिक्षुणियों के रोग-रहित जीवन यापन में विशाखा एवं शृंगार माता जैसी उपासिकाओं का विशेष योगदान देखा जाताहै। प्रारम्भिक पालि साहित्य 'विनयपिटक' के अनुशीलन से स्पष्ट होता है कि बौद्ध संघ में निर्देशों, नियमों एवं अनुज्ञाओं का व्यवहार सर्वत्र प्रचलित था। भिक्षु-भिक्षुणियों के सामान्य जीवन में स्वेच्छा चारिता पर पूर्ण नियंत्रण था।' __बौद्ध साहित्यों के अध्ययन अनुशीन से स्पष्ट होता है कि बहुत्र चिकित्सा एवं पथ्यापथ्य सर्वत्र प्रचलित था। अतः निश्चिततः बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियां चिकित्सा विधान एवं व्यवहार के प्रति पूर्ण सजग एवं सतर्क थे। जहाँ बौद्ध साहित्य के वर्णनानुसार चिकित्सा प्रक्रिया बौद्धिक ग्रन्थों से निष्पन्न देखा जाता है वहीं बौद्ध युग में यह पूर्णतः समृद्ध दृष्टिगत होता है। मौर्य नरेश अशोक के काल में पूर्ण राजकीय संरक्षण चिकित्सा प्रविधि को प्राप्त थी, जहाँ दैनिक उपयोग के औषधियों को राजकीय देख रेख में संरक्षित किया जाता था। ___ इस प्रकार स्पष्ट होता है कि बौद्ध युग में भिक्षु-भिक्षुणियों के स्वास्थ के प्रति पूर्ण सचेष्टता देखी जाती है जिसमें सामान्य बौद्ध भिक्षु से लेकर प्रथम पंक्ति के शिष्य आनन्द तक चिकित्सा विज्ञान के प्रति सचेष्ट देखे जाते हैं। एवं भगवान बुद्ध सदैव अपने भिक्षु - भिक्षुणियों के स्वास्थ को सर्वथा वरीयता प्रदान किया। संदर्भ 1. विनयपिटक, (महावग्ग) महाबोधि ग्रन्थ माला - 3, सारनाथ वाराणसी, 1935, पृ० 215-2251 2. विनयपिटक, महावग्ग (भिक्षु जगदीश कश्यप द्वारा सम्पादित) नालन्दा देवनागरी, पृ० 293-95 पालि पब्लिकेशन बोर्ड बिहार - 1956। 3. अत्रिदेवविद्यालंकार, आयुर्वेद का बृहद् इतिहास ग्रन्थ माला 33, पृ० 91-110, 1960।
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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