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________________ 27 बौद्ध शिक्षा परम्परा का आधुनिक भारतीय शिक्षा पर प्रभाव दिनेश कुमार गुप्त भारतीय शिक्षा की गौरवशाली परम्परा में वैदिककालीन शिक्षा का महत्वपूर्ण एवं गौरवशाली योगदान रहा है। इस वैदिक कालखण्ड का प्रसार 2500 ई०पू० से 500 ई० पू० समान नहीं था । ऋग्वैदिक अथवा पूर्ववैदिक काल में भारतीय शिक्षा अपने उन्नयन के लिए विश्वविख्यात थी, जबकि उत्तरवैदिक कालीन शिक्षा अनेकानेक विसंगतियों का भण्डार थी। इस विसंगतिपूर्ण वैदिक व्यवस्था के प्रति जन असन्तोष होना स्वाभाविक था । परिणामस्वरूप वैदिक व्यवस्था के वर्णधर्म के विरूद्ध एक क्षत्रिय राजकुमार ने अपने क्षत्रिय वर्णधर्म का अतिक्रमण करते हुए नये धर्म को स्थापित किया । जबकि वैदिक व्यवस्था में यह कार्य ब्राह्मणों का एकाधिकार माना जाता था । बौद्धकाल में भारत यात्रा के दौरान (399-414 ई०) फाहियान ने लिखा है कि भारत में प्राथमिक शिक्षा की अति सुन्दर व्यवस्था थी। सातवीं शताब्दी में भारत आने वाले सुप्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग एवं आइसिंग के लेखों में बौद्धकालीन सार्वजनिक प्राथमिक शिक्षा का उल्लेख मिलता है, जिसे बौद्ध भिक्षुओं के साथ-साथ बौद्ध मतावलम्बियों एवं गृहस्थों को भी प्राप्त करने का अधिकार था। जबकि वैदिककाल में प्राथमिक शिक्षा की किसी सुनिश्चित व्यवस्था का उल्लेख तत्कालीन साहित्यों में नहीं मिलता है। इस काल में प्राथमिक शिक्षा की किसी सुनिश्चित व्यवस्था का उल्लेख तत्कालीन साहित्यों
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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