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________________ प्रो० प्रेम सागर चतुर्वेदी : निष्ठावान शिक्षक एवं समर्पित शोधकर्ता मुझे यह जानकर अतीव प्रसन्नता हुई कि हीरालाल रामनिवास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, खलीलाबाद के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार पाण्डेय और उनके महाविद्यालय परिवार द्वारा प्रो० प्रेम सागर चतुर्वेदी का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है एतदर्थ डॉ० पाण्डेय और महाविद्यालय परिवार को मैं हार्दिक धन्यवाद देता हूँ क्योंकि प्रो० चतुर्वेदी का व्यक्तित्व सचमुच अभिनन्दनीय है। सम्प्रति प्रो० चतुर्वेदी हमारे विभागाध्यक्ष हैं किन्तु उनका सानिध्य मुझे किशोरावस्था से ही प्राप्त रहा है। स्वभावतः मुझे उन्हें निकट से देखने-समझने का अवसर भी मिला है। जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो उनका वह तरुण रूप स्मरण होता है जब वे प्रयाग से यहाँ आये थे और गोरखपुर विश्वविद्यालय को अपना कर्म क्षेत्र बनाया था। वे तभी अत्यन्त सौम्य, मितभाषी और गम्भीर थे। जब मैं विद्यार्थी के रूप में विश्वविद्यालय में आया तो मुझे याद आती है उनकी वक्तृत्व क्षमता और अनुशासन प्रियता। उनके प्रवेश करते ही कक्षा में सन्नाटा पसर जाता था। वे पूरे विस्तार के साथ परिष्कृत भाषा और प्रवाहपूर्ण शैली में विषय का प्रतिपादन करते थे तथा पाठ्यक्रम के अतिरिक्त कक्षा में कभी किसी इतर विषय की चर्चा नहीं करते थे। उनके व्याख्यानों में कविता का लालित्य होता था। टू दी प्वाइंट लिखना और टू दी प्वाइंट बोलना उनकी खास विशेषता है। उन्होंने दो चार वर्षों में ही एक अनुशासनप्रिय निष्ठावान तथा प्रबुद्ध अध्यापक के रूप में विश्वविद्यालय में अपनी पहचान बना ली थी। पश्चातवर्ती वर्षों में उनकी निरन्तर चलती सारस्वत साधना ने उन्हें एक ख्याति-लब्ध विद्वान के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। प्रो० चतुर्वेदी, इतिहास एवं संस्कृति के मान्य विद्वान तो हैं ही साथ ही हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओं पर उनका समान रूप से अधिकार है। वे उन विरल विद्वानों में हैं
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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