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________________ 184 श्रमण-संस्कृति विवाह कर देता था तत्पश्चात् वह पति गृह में 'वध' का स्थान ग्रहण कर गृहणिया पत्नी पद सेसम्मानित होती थी। पत्नि के रूप में बहु अपने पति की परम सखा समझी जाती थी। और वह अपने पति भी सेवा उसी प्रकार करती थी जैसे शिवय आचार्य की करते हैं क्योंकि यह मान्यता थी कि पृथ्वी पर उसके पति के समान दूसरा कोई प्रिय नहीं! स्त्रियाँ अपने पति में सुख में अपना सुख समझती थीं। परिवार की मर्यादा का ध्यान रखती थी पशुओं का भरण पोषण करती थी तथा आगत अतिथियों का स्वागत स्वयं करती थी। इसकाल में बन्धक भायी, चौर भार्चा, आर्या भार्या, माता भार्या, संङ्गिगी भार्या, सखी भार्या और दासी भार्या जैसी पत्निीयों के उल्लेख मिलते हैं। बौद्ध वाङ्गमय में जहाँ स्त्री पुरुष में चरित्रहीनता सम्बन्धी अनेक उदाहरण दिए गए हैं वही उसके भी पर्याप्त उदाहरण मिलते हैं कि दाम्पत्य जीवन प्रायः सुखमय था तथा पत्नि को पति का अन्तरंग मित्र बताया गया है। बौद्ध वाङ्गमय में प्राप्त उद्धरणों से यह भी विदित होता है कि परिवार में स्त्रियों पर सास ससुर का कठोर नियंत्रण होता था तथा आदर्श पुत्र बधू और सास ससुर का परस्पर व्यवहार प्रेमपूर्ण था। लेकिन कुछ ऐसे भी प्रमाण मिलते हैं जिससे परिलक्षित होता है कि तत्कालीन समाज में सास ससुर भी अनुमति के बिना बधू कोई भी कार्य नहीं कर सकती थी! किन्तु कुछ ऐसी घटनाओं का भी उल्लेख मिलता है जिसमें पुत्र बधू द्वारा सास ससुर प्रताड़ित किए गए हैं। जातक ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि एक बार चार पुत्रों ने अपने पत्नियों में कहने पर पिता को घर से निकाल दिया था। ___बौद्ध परम्पराओं की दैनिक जीवनचर्या से स्पष्ट होता है कि बौद्ध समाज में स्त्रियाँ अपने पति द्वारा पूर्ण रूप से रक्षित होती थीं। किसी भी स्थिति में पत्नी की रक्षा करना पति का परम कर्त्तव्य होता था, किन्तु व्यभिचारिणी पत्नी के साथ पति कठोरता से व्यवहार करता था और उसके लिए कई प्रकार के सामाजिक दण्डों का भी विधान था। बौद्धकालीन सामाजिक जीवन के चित्रण में भी पति व्रत की मर्यादा रखने वाली नारियों की कमी नहीं थी। ऐसी स्त्रियों ने अपने प्राणों को संकट में डालकर सतीत्व की रक्षा की। जैसे जातक में एक प्रसङ्ग में यह ज्ञात होता है
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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