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________________ पर्यावरणीय उपादान एवं गौतम बुद्ध 159 किरणों को अवशोषित करने वाली ओजोन परत में छिद्र की समस्या उत्पन्न हो गयी है। इस कारण, दक्षिणी गोलार्द्ध में चर्म कैंसर, चिली में भेड़ों का अंधापन, अंटार्कटिका में प्लैंक्टन घास के अस्तित्त्व की समाप्ति तथा आस्ट्रेलिया में प्रवाल जीवों के असामयिक विनाश जैसे अनेकानेक पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो गये हैं। इसके अतिरिक्त वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साईड की मात्रा में तीव्र वृद्धि के कारण वैश्विक तापन की समस्या उत्पन्न हो गई है। वैश्विक तापन के कारण हिम क्षेत्र का पिघलना व समुद्री जल स्तर में निरंतर वृद्धि जारी है, जिससे प्रशांत महासागर के तुवालू व कारटरेट द्वीप डूब गये हैं तथा अन्य अनेक के जलमग्न होने की आशंका है। तापन के कारण अनेक सूक्ष्म जीवों व जीव-जन्तुओं के विनाश से पर्यावरणीय जैव-विविधता खतरे में है । साथ ही वायुमंडल में हानिकारक रासायनिक तत्त्वों के मिलने से अम्लीय वर्षा होती है, जिसका वनस्पतियों व जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन भयावह स्थितियों से पर्यावरण की संरक्षा के लिए वैश्विक सहमति बनाने व उपाय निर्धारित करने हेतु स्टॉकहोम, मांट्रियल, रियो-डि-जेनेरियो, क्योटो व जोहांसवर्ग में सम्मेलन आयोजित किये गये। पर्यावरण की सुरक्षा हेतु निर्वहनीय या शाश्वत विकास (Sustainable development) की अवधारणा भी दी गई। इस वर्तमान विकट पर्यावरणीय संकट की स्थिति के समानान्तर बौद्ध वाङ्मय का अनुशीलन करने पर हमें मनुष्य का प्रकृति के साथ सहज व स्वाभाविक तादात्म्य दिखता है । बुद्धकालीन जन का पर्यावरणीय उपादानों के साथ प्रेम, श्रद्धा, भय, साहचर्य व अन्योन्याश्रय का स्वाभाविक सम्बन्ध था । व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन इन उपादानों के साथ ही अंतः गुंफित दिखता है। स्वयं गौतम बुद्ध का सम्पूर्ण जीवन वृक्ष, वन या उद्यान, नदी-तट व पर्वतों के साथ ही गुँथा सा दिखता है। अनेक वनों के उल्लेख पालि - त्रिपिटक तथा उसकी अट्ठकथाओं में मिलते हैं। इनमें अनेक प्राकृतिक वन भी थे तथा अनेक मृगोद्यानों व उपवनों के रूप में भी । गौतम बुद्ध किसी स्थान की यात्रा करते समय प्रायः उसके समीप किसी नदी - तट पर या आम्र, आमलकी या सिंसपा वन अथवा अरण्य
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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