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________________ श्रमण-संस्कृति कलाकारों को शासन की ओर से द्रव्य दिया जाता था। इन कलाकारों पर शासन का पूर्ण नियंत्रण रहता था । जातक काल अर्थात् इन्हीं दिनों में वीणा वादकों की प्रतियोगिताएं भी हुआ करती थी, जिसमें विजेता को पुरस्कार तथा राजाश्रय प्राप्त होता था। नालंदा विक्रमशिला तथा ओदन्तपुरी जैसे विश्वविद्यालयों में भी गांधर्व का स्वतंत्र निकाय (फैकल्टी) था । इनके अधिष्ठाताओं के रूप में भारत विख्यात संगीतज्ञों की नियुक्ति की जाती थी सम्पन्न परिवारों में बालक-बालिकाओं की संगीत-शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता था । (संगीत विशारद ) 142 इस काल में शास्त्रीय संगीत का विकास महाभारतकाल से अधिक हुआ इसी काल के समीप (अर्थात् 566 ई० पू० ) भगवान बुद्ध का जन्मकाल माना जाता है। इस काल का बौद्धिक साहित्य, जो कि 'जातक', 'पिटक' और 'अवदान' के रूप में प्राप्त है, हमें इस काल स्थिति का ज्ञान कराता है इनमें जातक का अभिप्राय एक विशेष शीर्षकवाली कहानी से होता है, जिसमें बोधिसत्व के जीवन-संबंधी किसी घटना का वर्णन हो । 'पिटक' (अर्थात् पिटारी) बुद्ध वचनों के संग्रह का नाम और 'अवदान' में भिक्षु भिक्षुणियों के पूर्व - -जन्म की कथाएं हैं। इनके अतिरिक्त 'थेरगाथा' में भिक्षुओं के लिए और 'थेरीगाथा' में भिक्षुणियों के लिए उपदेश हैं। ये गाथाएं भिक्षु एवं भिक्षुणियों द्वारा गाई जाती थी । 'थेरगाथा' में 107 पद्य और 1279 गाथाएं हैं। 'मत्जातक' में 'मेधगीति' का और 'गुप्तिल जातक' में गन्धर्व गुप्तिलकुमार को सप्ततंत्री वीणा के वादन में कुशल बताया गया है। भगवान बुद्ध स्वयं एक उत्तम संगीतज्ञ थे । उन्होंने एक स्थान पर जो कहा है, उसका भाव है कि 'जीवन अग्नि के उस स्फुलिंग की भांति है जो दो काष्ठों के मर्दन करने से उत्पन्न होता है । अथवा जो वीणा के ध्वनि की तरह उत्पन्न होता है और फिर विलीन हो जाता है । अत: विद्वानों की जीवन के प्रति यह जानने की उत्कंठा कि वह वहाँ से आता है और कहाँ जाता है, जानने का प्रयास व्यर्थ है ।" इस काल के संगीत में जीवन की व्यापकता का समावेश अधिक हो गया था। अब वही संगीतज्ञ सफल समझा जाता था जो कि अपने संगीत प्रदर्शन से मानव को समस्त विकारों से ऊपर उठा सके। भगवान बुद्ध के संपूर्ण
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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