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________________ भारतीय संस्कृति पर बौद्ध व जैन- परम्परा का प्रभाव आजातशत्रु व उदायिन, मौर्यवंश चन्द्रगुप्त मौर्य, कलिंग के खारवेल महत्वपूर्ण हैं। दक्षिण भारत के जैन समर्थक राजाओं में गंगवश के राजा, कदम्ब वंश के राजा, चालुक्य/सोलंकीवंश के जयसिंह व कुमारपाल, राष्ट्रकूट वंश के अमोघवर्ष महत्वपूर्ण हैं । बौद्ध समर्थक मतों के राजाओं में मगध के हर्यक वंश के राजा बिम्बिसार, आजातशत्रु, कोशल के राजा प्रसेनजीत, वत्स के राजा उदायिन, अवंति के प्रद्योत मौर्यवंश के अशोक, दशरथ, हिन्दूग्रीक वंशी मिनान्दर, कुषाणवंश के कनिष्क, वर्धनवंशी, हर्षवर्धन, पालवंशी गोपाल, धर्मपाल व रामपाल प्रमुख हैं । विश्व के कई देशों में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ जहाँ यह आज तक फल फूल रहा है। 129 जैन व बौद्ध मतों ने आर्थिक विकास तथा शहरीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया वहीं धर्माचरण से यज्ञ. पुरोहित, ईश्वर तथा आत्मा (बुद्ध) की भूमिका को नकारकर धर्म के क्षेत्र में नया शंखनाद किया। सभी वर्णों के स्त्री-पुरुष को जैन व बौद्ध मठों में समावेश, शिक्षा/ उपदेश में स्थानीय भाषा को महत्व प्रदान करना, इनका एक बहुत ही सराहनीय कदम था। राजा के समक्ष दिग्विजय की जगह धर्म विजय, जनता को सेना से जीतने की जगह, मानवता व जन कल्याण के कार्यों से जीतने को महत्व प्रदान कर चक्रवर्ती सम्राट के नये लक्ष्य, नयी अवधारणा को जन्म दिया। जैन धर्म व बौद्ध धर्म का अहिंसा, समाज के सभी वर्गों का समान महत्व, धर्म के क्षेत्र में दिये गये इन धर्मों के प्रवर्तकों द्वारा उपदेश जैन व बौद्ध धर्म के मतानुयायियों के लिए ही नहीं परंतु विश्व शांति व बंधुत्व में विश्वास करने वालों के लिए प्रेरणास्रोत व प्रभावित करने वाली अखंड दिव्य ज्योति है । इसके लिए भारतीय सभ्यता ही नहीं सम्पूर्ण विश्व सभ्यता जैन व बौद्ध परम्पराओं का सदा ऋणी रहेगी। आज जिस रूप में हम भारतीय संस्कृति को देखते हैं उसमें जैन व बौद्ध परंपराओं का प्रभाव अनुस्युत है । संदर्भ 1. वृहत्तर भारत, डॉ० भगवत शरण उपाध्याय 2. भारत का इतिहास, नवीनमूल्यांकन, लेखक डी० एन० ग्रोवर, प्रकाशक मुकेशचन्द एण्ड कंपनी ।
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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