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________________ 114 श्रमण-संस्कृति राष्ट्रीय आंदोलन में तो भोजपुरिया लोगों ने सभी क्षेत्रों में (राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं साहित्यिक) आगे आकर राष्ट्रीय चेतना फैलाया। पूर्वी के जनक एवं लोक चेतना के अप्रतिम गीतकार - पं० महेन्द्र मिश्र ने लोक चेतना एवं राष्ट्रीय चेतना से संबंधित गीतों की रचना की। जहाँ एक ओर बाबू रघुवीर नारायण ने भोजपुरी के राष्ट्रीय गीत, भोजपुरी के बन्दे मातरम् सुन्दर सुभूमि भैया, भारत के देसवा से। मोरे प्रान बसे, हिम खोह रे बटोहिया।। की रचना की, वहीं दूसरी ओर प्रिंसिपल मनोरंजन प्रसाद सिंह ने 'फिरंगिया' की रचना कर अंग्रेजी सरकार की पोल खोल कर रख दी। इन दोनों गीतों ने राष्ट्रीय क्रान्ति की पृष्ठभूमि तैयार कर भोजपुरिया समाज में राष्ट्रीय चेतना भर दिया। __भोजपुरी क्षेत्र और समाज से गौतम बुद्ध का रिश्ता बहुत ही पुराना है।' गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के मधेशी प्रदेश में हुआ था। पश्चिमी नेपाल के मधेशी शतप्रतिशत आज भोजपुरी भाषी हैं। बुद्ध ने जिन लोगों को देखकर तथा जिन इलाकों में वैराग्य प्राप्त किया वह भी आज भोजपुरी भाषी क्षेत्र है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह अपना प्रथम उपदेश भी भोजपुरी भाषा क्षेत्र की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी के सन्निकट सारनाथ में दिये। बुद्ध ने अपने जीवन के आधे से अधिक समय भोजपुरी भाषी क्षेत्र में व्यतीत किए। अधिकांश, चातुरमास इसी में व्यतीत किए। यहाँ तक कि अपना शरीर--त्याग भी कुशीनगर (कसयां) भोजपुरी क्षेत्र में ही किया। यही कारण है कि भोजपुरिया समाज के मूल संस्कार में चाहे वह कोई भी धर्म या विचारधारा क्यों न हो, बुद्ध के प्रभाव बहुत गहराई में रचे-बसे हैं। बुद्ध के वैराग्य के कारण जो तब थे, बाद में भी रहे और आज भी भोजपुरिया समाज में हैं। आज भी भोजपुरिया समाज हिंसा और अत्याचार से पूरी तरह जूझ रहा है। समाज के हर क्षेत्र में तृष्णा तथा ज्यादा प्राप्त करने की होड़ लगी हुई है। समाज में जातिवाद, सम्प्रदायवाद का बोलबाला है। ऐसे में बुद्ध को याद करना समय की मांग है। यही कारण है कि भोजपुरी में रचे
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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