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________________ 14 जातक कथाओं में महोत्सव दुर्गेश कुामर त्रिपाठी एवं अंजनी कुमार मिश्र छठी शताब्दी ईसा पूर्व का काल विश्व के बौद्धिक आन्दोलन का काल माना जा सकता है। इसी काल में विश्व के विभिन्न धर्म आन्दोलनों का जन्म हुआ। जैसे पार्थिया के जरथुस्थ, चीन के कन्फ्यूसियस, लाओत्सो, ग्रीक का पाइथागोरस, इजराइल का जर्मिया तथा विभिन्न भारतीय आन्दोलन । भारतीय आन्दोलनों में ऐसे 62 विभिन्न आन्दोलन ज्ञात थे, जिनमें मुख्यतः निवृत्तिवादी धर्म है। इनमें बौद्ध धर्म सर्वश्रेष्ठ है। एक विचार के अनुसार - 'चारों ओर मनुष्य की जिज्ञासा युग-युग के पूंजीभूत विश्वासों के आवरण को चीर कर प्रत्येक वस्तु के अन्तस्तत्व को देखना चाहती थी। मनुष्य की उद्भूत तर्कशीलता अब किसी भी पुरातन मत को ग्रहण करने के पूर्व, पहले उसे भलीभांति परख लेना चाहती थी। उस समय प्राचीन अन्धविश्वास कांप रहे थे, कर्मकाण्ड की विशाल दीवारें, जर्जरित हो रही थीं। अतः भारतीय सभ्यता, संस्कृति और इतिहास के नव-निर्माण तथा सामाजिक अभ्युत्थान की दिशा में जिन सुधारवादी धार्मिक सम्प्रदायों का सर्वाधिक योगदान रहा, धर्म का उनमें प्रमुख स्थान है। सैन्धव वासियों के मनोरंजन के अनेक साधन थे। उत्खनन में अनेक मिट्टी की बनी पशुओं की मूर्तियां, बौने की मूर्तियां, गाड़ियां प्राप्त हुई हैं। मोहनजोदड़ों से कांसे की बनी एक नृत्यरत नारी की मूर्ति, एवं एक मुद्रा पर मानव आकृति ढोल बजा रहा है। हड़प्पा से सार्वजनिक कुओं के पास से ईंटों की बनी एक बेंच मिली है। एक विचार के अनुसरा यहाँ स्त्रियां पानी भरने आती थीं और यहाँ बैठकर मनोरंजन हेतु गीत गाती थीं। वैदिक काल वाद्य-यंत्रों
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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