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________________ भारतीय संस्कृति पर बौद्ध परम्परा का प्रभाव इस्लामी फौज ने किया और प्रेम के साथ सूफियों ने। तभी से प्रतिक्रिया स्वरूप भारतीय (हिन्दुओं) में इस्लामियों के प्रति घृणा का भाव उपजा और उनके साथ हर प्रकार की वर्जना, निषेध और दूरी की शुरूआत हुई। हमारे हिन्दु बुद्धिजीवियों ने भारतीय संस्कृति को भले ही हिन्दू संस्कृति घोषित किया हो, लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं भारतीयता की भावना अवश्य बसी हई है। लेकिन वे द्वन्द्वात्मक भाव से घोषित करते हैं कि आज भी भारत में विभिन्न जातियां रहती हैं और उन्हें हम उचित रीति से भारतीय भी कहते हैं, पर जब भारतीय संस्कृति का प्रश्न उठता है तो यह विचारणीय विषय बन जाता है कि किसे भारतीय संस्कृति कहें। हिन्दू संस्कृति, मुस्लिम संस्कृति, या ईसाई संस्कृति को? एक विकल्प सामने आता है कि इन सब की मिली जुली संस्कृति को भारतीय संस्कृति कहा जाय। इस मिली-जुली संस्कृति को भारतीय संस्कृति कहना सर्वथा उपयुक्त होगा, परन्तु यह निर्विवाद है कि इसका ताना वही है जिसे आर्य या हिन्दू नाम से उपलक्षित किया जा सकता है। बाने के सूत इधर-उधर से आये हैं पर वे सब ताने पर आश्रित हैं। गंगा में बहुत सी छोटी-बड़ी नदियां मिली हैं। परन्तु मिलने पर जो पयस्विनी बनती है, वह गंगा ही कही जाती है। इस न्याय से भारतीय संस्कृति को हिन्दू संस्कृति कह सकते हैं। विश्व की अन्य सभी संस्कृतियों ने कट्टरता एवं मदान्धता के तत्व दष्टिगोचर होते हैं, किन्तु इसके विपरीत भारतीय संस्कृति की विशिष्टता उसकी सहनशीलता में है। विश्व की अन्य संस्कृतियों ने अपने ही देश में पनपने वाली नवीन प्रवृत्तियों को सहन नहीं किया, इसी कारण सुकरात को विषपान करना पड़ा और ईसा को मृत्यु का आलिंगन करना पड़ा। परन्तु किन्तु भारतीय संस्कृति ने विभिन्न प्रवृत्तियों और प्रभावों को सहर्ष सहन कर लिया। इस संस्कृति ने प्रत्येक व्यक्ति को विचार, धर्म एवं विश्वास की स्वतंत्रता दी। यही कारण है कि अन्य संस्कृतियों में भगवान के रूप में पूज्य आराध्यदेव एक हैं। किन्तु भारत में आराध्य देवों की सम्पूर्ण परिगणना कर सकना सम्भव नहीं है। मनुष्य की विविधात्मक प्रवृत्ति को परिलक्ष्य करके ही ऋषियों ने ऋग्वेद में ही सभी देवताओं को एक परब्रह्म के विविध रूप घोषित कर दिया था। कालान्तर
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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