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________________ बौद्ध परम्परा में सारनाथ के स्तूप 81 लिया गया। जब गुप्त काल में मूलगंध कुटी का निर्माण आरम्भ हुआ तो यह उसके नीचे दबा हुआ था। संभवतः इस सुन्दर कलाकृति को ऊपर से उतार कर कुषाण कालीन कुटी के स्थान पर स्थापित कर दिया गया था। इस वेदिका में सम्वाहिका का नाम प्राकृत भाषा में खुदे लेख से स्पष्ट होता है। यह मौर्य कालीन वेदिका खण्डित रूप में मिली है, जिसके मूल स्थान में संबंध में विद्वानों में मतभेद है। फोगल का मत है कि यह वेदिका उस स्थान की पवित्रता का द्योतक है जहाँ बुद्ध ने धर्मचक्र प्रवर्तन किया था। दयाराम साहनी का कथन है कि यह वेफ़्नी धर्मराजिका स्तूप के ऊपर हर्मिका रही होगी जो पूर्व स्तूप के शिखर भाग पर चारों ओर निर्मित थी तथा इसके मध्य में सांची स्तूप के सामान छत्र लगा था। सारनाथ की वेदिका पर एक लेख भी उत्कीर्ण है जिस पर दान दाताओं का नाम दिया गया है। इस वेषनी पर अलंकृत त्रिरत्न, बोधीवृक्ष, पुष्पमाला, धर्मचक्र, छत्र इत्यादि दृष्टव्य हैं। इसी काल का खण्डित बृहद्चक्र भी प्राप्त है। इस पर क्रमशः कमलवेल, पूर्णघट, बोधिवृक्ष आदि के अलंकरण हैं। इन सभी स्तम्भों की लम्बाई 4' x 4", मोटाई 8" x 6" और ऊंचाई 4' x 2" तथा मोटाई 8 1/2' x 6" तथा लम्बाई 4' x 4", ऊंचाई 8' x7" है। सारनाथ जाते समय मार्ग में चौखण्डी नामक स्तूप के भग्नावशेष दृष्टिगोचर होते हैं। ये सारनाथ से 200 मी० दक्षिण पश्चिम दिशा में ऊंचा ईंटों का एक बड़े टीले के रूप में वर्तमान है।' इस टीले पर आठ कोण का स्तूप है जो 84 फुट ऊंचा है। ह्वेन सांग ने अपने यात्रा विवरण में इसका उल्लेख किया है।32 इस बुर्ज का निर्माण टोडरमल के पुत्र गोवर्धन ने 1583 ई० में कराया था। उस पर अकबर ने भी गुम्बज बनवाया था। हुमायूं ने इस पवित्र स्थान पर एक दिन विश्राम किया था। सन् 1835 ई० में कनिंघम ने अष्टकोण गृह के बीच में उत्खनन कराया जिससे उन्हें कलात्मक सामग्री प्राप्त हुई। इसी स्थान पर बुद्ध ने पांच साधुओं को उपदेश दिया था जिसका विवरण बौद्ध साहित्य में उपलब्ध है।” इस स्तूप के मूल भाग की ऊंचाई 52' x 8" है, जिसके ईंटों का आकार 29' x 2' है। वाशुदेव शरण अग्रवाल का कथन है कि इस स्तूप पर किसी समय शिव प्रतिमा की स्थापना हुई थी।” फाहियान ने इस स्तूप को
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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