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________________ श्रमण-संस्कृति महिलाओं की प्रशंसा की गई है (जैसा कि खेमा के बारे में कहा गया है कि जब उसकी शिक्षा पूरी हुई तबतक वह धर्म के पूर्ण ज्ञान के साथ अर्हत्व प्राप्त कर चुकी थी । स्वयं बुद्ध ने उसे उच्च स्थान प्रदान किया था ) " किसा गौतमी ने भी बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेश को समझने के बाद आर्हत्व प्राप्त किया 112 आनन्द के उपदेश को सुनकर भिक्षुणी समा ने अर्हत् का पद प्राप्त किया था । भिक्षुणी मुक्ता के बारे में कहा गया कि उसने पुनर्जन्म और मृत्यु से भी मुक्ति प्राप्त कर ली थी। ये सभी दृष्टान्त यह सिद्ध करते हैं कि बुद्ध ने महिलाओं को पुरुषों के समकक्ष मानते हुए उन्हें स्वयं ही दिक्षीत किया था। 76 बौद्ध धर्म में महिलाओं की स्थिति के सम्बन्ध में कुछ निष्कर्ष बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों के आधार पर भी निकाले जा सकते हैं। बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों में अहिंसा, करुणा, श्रद्धा, दूसरों के प्रति व्यवहार में समानता और उचित व्यवहार जैसी बातें प्रमुख थीं। स्वयं बुद्ध ने कहा था 'कोई किसी को धोखा न दे, ' किसी स्थान में किसी से घृणा न करे तथा क्रोध या प्रतिकारवश किसी को क्षति पहुंचाने की इच्छा न करे । समस्त प्राणी प्रसन्न, सुखी, सुरक्षित और प्रसन्नचित हों । इस दृष्टान्त के आधार पर यह तो अवश्य कहा जा सकता है कि जिस धर्म का आधार ही मानवीयता और करुणा हो, वहाँ स्त्रियों को हीन दृष्टि से कैसे देखा जा सकता है। निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि बौद्ध धर्म में स्त्रियों को पुरुषों के समकक्ष माना गया था । यद्यपि बाद के बौद्ध ग्रन्थों स्त्रियों के प्रति दुर्भावना को व्यक्त किया गया है। संभवत: इसका कारण बौद्ध धर्म पर ब्राह्मण धर्म का बढ़ता हुआ प्रभाव और बुद्ध जैसे आकर्षक और महान व्यक्तित्व का अभाव रहा होगा। संदर्भ 1. ऐतरेय ब्राह्मण ग्रन्थ 2. मैत्रायणी संहिता 3. जातक ग्रंथों में वर्णित है। द जातका, एडिटेड बाई वी० फॉसवॉल IInd Vols., पृ० 406 4. वही, पृ0 95 VIth Vols, पृ० 268 5. वही
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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