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________________ महिलाओं के प्रति बुद्ध का दृष्टिकोण अपने को नहीं बचा सके। प्राचीन भारत की सामाजिक व्यवस्था में कार्यरत पितृसत्तात्मक समाज में पुरुषों को सामान्य तथा महिलाओं को इसका अपवाद माना गया था। इस व्यवस्था ने पुरुषों को समाज द्वारा मूल्यवान मानी जाने वाली सभी स्थितियों को धारण करने हेतु वैध स्वामी माना, जबकि महिलाओं को पुरुषों द्वारा अपनी स्थिति कायम रखने हेतु मौन सहमति देने वाली सहायिका के रूप में देखा। अन्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि पुरुषों को महिलाओं पर नियंत्रण की शक्ति प्राप्त थी। साथ ही साथ धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्रियाकलापों पर पुरुषों का एकाधिकार था ।" जब बौद्ध धर्म पर इन बातों का प्रभाव पड़ना शुरू हुआ तो महिलाओं के प्रति उनका दृष्टिकोण भी परिवर्तित होने लगा । यही कारण था कि बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद बौद्ध संघ एक ऐसी संस्था के रूप में स्थापित हो गया जिस पर एक बड़े शक्तिशाली पितृसत्तात्मक सत्ता का प्रभुत्व था । इसी तरह की मानसिकता वाले लोगों द्वारा कालान्तर में बौद्ध साहित्य का सम्पादन और संशोधन किया गया और उन्होंने महिलाओं को अपूर्ण, दुष्ट, नीच, कपटी, अविश्वासी, कामुक जैसी उपाधियों से विभूषित किया 7 इसी दृष्टिकोण के कारण धीरे-धीरे महिलाओं को हीन समझा जाने लगा । 73 महिलाओं की स्थिति के प्रति दृष्टिकोण पर विचार करते समय यह तथ्य भी महत्वपूर्ण हो सकता है कि प्राचीन भारतीय बौद्ध साहित्य में पाये जाने वाले महिला विरोधी वक्तव्य और कथन बौद्ध विहार के विशिष्ट वर्ग के उन सदस्यों द्वारा जोड़ा गया क्षेपक हो सकता है, जिनके महिलाओं के प्रति रुख को विभिन्न ऐतिहासिक परिस्थितियों में आकार प्रदान किया। 28 ऐसा भी प्रतीत होता है कि त्रिपिटक का बहुत बड़ा भाग तृतीय बौद्ध संगति के बाद संकलित किया गया |29 त्रिपिटक में बार बार होने वाले संशोधनों के कारण भी महिलाओं के सम्बन्ध में व्यक्त किए जाने वाले विचारों में विविधता मिलती है। भिक्षुणी संघ की स्थापना तथा बौद्ध धर्म में महिलाओं के प्रवेश के सम्बन्ध में परस्पर विरोधी मत एक ही ग्रन्थ में देखे जा सकते हैं। इसमें गौतम बुद्ध यह स्वीकार करते हैं कि महिलायें निर्वाण के उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है। साथ ही साथ यह भी कहते कि दुर्भाग्यवश भिक्षुणी संघ की स्थापना होने से बौद्ध
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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