SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कुरंगीए अति मोहीयो, जोगवे लोग तस देह ॥ ए ॥ सेजे कुरंगी कुसणी , अपर-1 शुं वांडे नोग ॥ कामे पीमी कामिनी, न मले तेने जोग ॥१०॥ ढाल त्रीजी. कंत तमाकु परिहरो-ए देशी. सुंदरीनां लक्षण जलां, शीलवंती शुन नार ॥ मोरा लाल॥पर नर दीगे नवि गमे, पाले शुरु आचार ॥ मो० ॥१॥ सूरिजन सांजलजो कथा ॥ ए श्रांकणी ॥ सुंदरीनो शील नवी गमे, कुरंगी करेरे कुरंग ॥मो० ॥ कोपे चमी नित्य कलकले, श्राप वखाणे || अंग ॥ मो० ॥ सू० ॥२॥ जरतारनो वली बल घणो, दीये अघटतां थाल ॥ मो॥ सापण सरीखी फुफुए, मुख मोडी बोले गाल ॥ मो० ॥ सू॥३॥ सुंदरी मनमां खीमा धरी, उपशमे श्राणे अंग ॥ मो॥ अशुभ कर्म कीधां में घणां, धर्म तणो कीयो नंग ॥ मो० ॥ सू० ॥४॥ कुरंगी कंथ श्रागल कहे, सांजलो खामि एकंत ॥ मो॥ Vवमी नारी तुम न रुयमी, अवगुणनो नहीं अंत ॥ मो० ॥ सू० ॥५॥शोकनी वात कशी कडं, कहेतां श्रावे मुज लाज ॥ मो० ॥ द्वेष माटे तुमे जाणशो, नहीं कहीए ते श्राज ॥ मो० ॥सू० ॥६॥ माधव कोप्यो धमहज्यो, तेहना सांजली बोल ॥मो
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy