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________________ धर्मपरी० 11 29 11 उदा. पर कथा तु सांजलो, संखेपे करूं सार ॥ हस्तीनागपुर रुयडो, उत्तर देश मोकार ॥ १ ॥ मेघरथ नूपति जलो, पदमावती जरतार ॥ पदम लघु विष्णु वडो, पुत्र बेदु बे उदार ॥ २ ॥ मेघरथ विष्णु मुनि हुवा, पदमरथ थापी राज ॥ चारित्र पाले रुको, बेदु करे श्रातम काज ॥ ३ ॥ गजपुरमां तव श्रावीया, द्विज मंत्री ते चार ॥ राजाने जइ नेटीया, दान मान दीधां सार ॥ ४ ॥ मंत्रीपद श्राप्यां जलां, सुख पाम्या ते चार ॥ सिंहवली शत्रु तेह तणो, देश उजामी अपार ॥ ५ ॥ राजाने चिंता घणी, दिन दिन गे खीणं ॥ मंत्रीए तव पूर्बीजं, शरीर दीसे कां हीए ॥ ६ ॥ पदमरथ राजा कहे, सुणो तमे बलि प्रधान ॥ सिंहवली वयरी श्रम अबे, तेथे करी नहीं सुख मान ॥ ७ ॥ श्रादेश लइ नृपति तणो, प्रधाने कर्यो प्रयाण ॥ सैन्य सुजट निज सज करी, बलि मंत्री बुद्धिमाए ॥ ८ ॥ सबल संग्राम तिहां जइ कीयो, शत्रु कटक दुवो जंग ॥ सिंहवलीने बांध्यो तदा, पाम्या जय जय रंग ॥ ए ॥ वयरी बांधी आणीने, जेट रायने कीध ॥ पदमरथ खाणंद दुर्ज, बलिने वरदान दीध ॥ २० ॥ वलतो मंत्री बोलीयो, सांजलो श्रीमहाराज ॥ मागुं त्यारे श्रापजो, वर आवे मुज काज ॥ ११ ॥ खम १ ॥ २७ ॥
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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