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________________ ताम राज, विष्णु देव पधारो आम राज || तुo || कहो कारण हुबुं बे केहवुं राज, विपरीत रूप दीसे एहवं राज ॥ तु० ॥ ६ ॥ नारायणे कथुं तव मांगी राज, शरीर वितक जेवुं लघुं बांगी राज ॥ तु० ॥ खरुखड ते सहु इसीया राज, सांजली वात अचंबे वसीया राज || तु० ॥ ७ ॥ महादेवे हाकोट्या श्रति घणा राज, काला मुख हुश्रा तेह तथा राज ॥ तु० ॥ देव दामोदर त्रिभुवन राय राज, सहुको लागे एहने पाय राज ॥ तु० ॥ ८ ॥ प्रीड्या वचन महेसर मली राज, पूज्या पाय नारायणना वली राज ॥ तु० ॥ क्षमा करजो स्वामी हे देव राज, अमे अपराधी हुवा ततखेव राज ॥ तु० ॥ एए ॥ सधला मली विमासण करे राज, गर्ज काढशुं दवे केणी परे राज ॥ तु० ॥ ब्रह्मा शंकर बोल्या जेद राज, जांग वाढी करी काढो बेद राज ॥ तु०॥१०॥ ते वचन मनमां घरी राज, देव सघले हास्यज करी राज || तु॥ जोर करी काढयुं छोकरूं राज, ते कारण बलि नामज धर्यु राज ॥ तुषं ॥ ११ ॥ विष्णु सदन वैकुंठज अया राज, देव सहु निज ठामज गया राज ॥ तु०॥ मनोवेग कहे कह्यो संखेव राज, अंवर पुराण सांजलजो देव राज ॥ तु० ॥ १२ ॥ बलि राजा बलवंता जाम राज, राज रिद्धि पाम्यो तेणें गम राज ॥ तु० ॥ अपूरव इंड थवा तणी राज, इछा
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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