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________________ श्रेणिक गुणनो धाम ॥१॥ जिनदत्त शेठ हुवो इहां, पिता माहरो जेह ॥ नंदन रूपषुरा तणो, लोहषुरो ले तेह ॥२॥ सांजली चिंते चोर एम, कांश्क मारी वात ॥ करशे तेणे निश्चल सुणो, राजा ते पण धात ॥३॥ ढाल आठमी. रामचंजके बाग चांपो मोरी रह्योरी-ए देशी. शेठ कहे सुण नार, रूपषुरो जे तस्कर ॥ चोरी करे अपार, साथे को न लश्कर ॥१॥ अंजन विद्या सिझ, नगर.मांहीं परसीधो ॥ हाथ न श्रावे तेह, नृप उपाय बहु कीधो ॥२॥ जाणी ते पुःख साध्य, राजा एम पयंपे ॥ घरघर दीप दीनार, दीजे तसु एम जंपे ॥३॥ मांगवीए वली तास, एक विश्वो करी दीधो ॥ वृत्तिए थयो निचिंत, वानरने मद पीधो ॥ ४ ॥ माकण चडीय जरख, कोण तेहने कहो पाले ॥ नगरे फरे निःशंक, मन गमते पंथ माले ॥५॥ नट विटने रहे साथ, सात व्यसनने सेवे॥ द्यूत मांस परदार, मदिरा चोरी लेवे ॥६॥ ज आहेडे जीव, जात जातना मारे ॥ वेश्याशुं बहु प्रीत, रात दिवस चित्त धारेला ॥ रूपषुरो एक दिन, नृप घर परिसर जावे ॥ रसवती सरस सुगंध, परिमल N
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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