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________________ देखी दरख्यारे, नेर घंटा वजामी परख्यारे ॥ कोडे वाड्यां श्रमे वाजांरे, सिंहासन | बेठा न रही माजारे ॥ २१ ॥ द्विजवर वादी बोले वे एमरे, खोटा मांहेला दीसो बो | तेमरे ॥ माया कपटी जूगबोलारे, तुम तोले आवे कोइ गोलारे ॥ २२ ॥ बहा खंग तणी ढाल बीजीरे, श्रोता सहुको कहेजो जीजीरे ॥ रंग विजयनो शिष्य कहे वारुरे, | नेमविजय कहे श्रोता सारुरे ॥ २३ ॥ उदा. मनोवेग तव बोलीयो, सांजलो जाइ जट्ट ॥ स्मृति पुराणे जे कयुं, नवि सांजस्युं तुमे ऊह ॥ १ ॥ विप्र वादी तत्र बोलीया, कहेरे किदां बे एम ॥ ढींक पाटुए करशुं जाजरा, जो खोढुं कहेशो तेम ॥ २ ॥ स्मृति पुराण जाण्यां घणां प्रमाण शास्त्र वली | वेद || जोग जुगति वली जाखतां, श्रमे न धरवो खेद ॥ ३ ॥ ढाल त्रीजी. मुनिवर हिरण पांगरे - ए देशी. वेषधारी मनोवेग बोलीयोरे, सांजलो विप्र विचाररे ॥ साचां वचनरे मुजने बोलतांरे, खेद नवि करवो लगाररे ॥ ५० ॥ १ ॥ दशमुख रावण राणो जाणीएरे, सबल शरीर अपार
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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