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________________ । सांजलोरे, जेम होये तुमने रंग ॥ सा॥ १० ॥ एक दिवस सासरे गयोरे, स्त्री श्राणाने काज ॥ सा ॥ तव माता मुज शिखव्युरे, सोनल पुत्र तुं आज ॥ सा ॥ १९॥ सासरे नित्य जमीए नहींरे, उदर नरीने अपार ॥ सा ॥ एक दिवस नूख्या रहोरे, बीजे पण थोमोथाहार ॥ सा ॥ १२ ॥ शिखामण देश्मोकट्योरे, वहु लेवाने काज सा० ॥ सासरे गयो उलट धरीरे, सहुने मल्यो हुइ लाज ॥ सा ॥ १३ ॥ खेम कुशल पूर्वी सालकेरे, जमवा उठो जगनी वोर ॥ सा ॥ अमे कयु तमे सांजलोरे, जमी श्राव्यो हुं घोर ॥ सा ॥ १४ ॥ बीजे दिन लोक श्रावीयारे, जमण तणो नहीं लाग ॥ सा ॥ रात पडी साला बोलीयारे, जमा थारोगो महा जाग ॥ सा ॥ ॥ १५ ॥ साला प्रते हुं बोलीयोरे, निशिनोजन नहीं चंग ॥ सा ॥ लूख नयी मुज अति घणीरे, श्रवाधा उपनी वली अंग ॥ सा ॥ १६ ॥ सासुए मनशुं विचारीयुरे, शाहबुर्ड कीजे अन्न ॥ सा ॥ चोखा नींजव्या वाटलीरे, कुर निपावाने मन्न ॥ सा॥ IN १७ ॥ जव मागशे तव पीरसगुंरे, एवो करी सुविचार ॥ सा॥ कचोर्चुनरी तंकुल मूकीयोरे, ढोलीया देठे आधार ॥ सा ॥ १७ ॥ मुज महिला तव सांचरीरे, आंगणे लघु नित काज ॥ सा ॥ नवकं देखी में चिंतव्युरे, तेह सांजलो धनराज ॥ साम्॥ मनात
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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