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________________ M व्यंग, मरुधर देश वखाणीए ॥ वी० ॥ ५ ॥ वीरा वागड बाट कर्णाट, कानड मेवाम माळवो ॥ वीरा वैराट वच्छ कच्छ नाम, कजळ नेपाळ जाळवो ॥ वी ॥३॥ वीरा कणवीर कानन देश, काबील बील्यंग मेवातमां॥वीरा गंधार वैदर्जनोगम, बबर कामरु जातिमां ॥ वी० ॥ ७॥ वीरा जोतां जोतां जग मांदे, फरतो दक्षिण दिश श्रावी ॥ वीरा पाडलीपुर नगर मांहे, दी। हरख बहु व्यापी ॥वी॥ ॥ वीरा बार जोयणने विस्तार, नयर पाडलीपुर जाणीए ॥ वीरा चार पोळ तुंग प्राकार, गढ मढ कोरणी वखाणीए ॥ वी० ॥ ए॥ वीरा चोराशी चोवटां बजार, हाटनी श्रेणी सोहामणी । वीरासात नूमि मोहोल श्रावास, गोख ऊरुखे चितरामणी ॥वी॥१॥ वीरा माणिक मोती व्यापार, रतन प्रवालानी नहीं मणा ॥ वीरा हीरा कवेर सुवर्ण, वणिज चलावे वणिक घणा ॥ वी० ॥ ११॥ वीरा ब्राह्मण वरण विशेष, विद्या नणावे विद्यारथी॥ वीरा वेदीया वेद विचार, सांजले बेग खारथी ॥वी॥ १५ ॥ वीरा यज्ञ करी मांड्या ५ याग, मध मदिरा दूध दही घणां ॥ वीरा ज्वलित खारेक खांड, सरसव घृत टोपरां तणां ॥ वी० ॥ १३ ॥ वीरा जोगी तापस संन्यास, तेहना मठ रलियामणा ॥ वीरा के देवल दीसे अनेक, ब्रह्मा विष्णु महेश्वर तणां ॥ वी० ॥ १४ ॥ वीरा हनुमंत गौरी
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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