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________________ TIPS 9 धर्मपरीनली सहुको मत अवगुणो ॥ ए श्रांकणी ॥ ते पासे केम ग्वीए बाल, नामनी सुण तुं थर जमाल साासां॥१॥ एक वात में हृदय विचार, जम जग माहीं रुडो ते| ॥५३॥ |सार ॥ सा ॥ जो धर्म विचारे तेह, बाया पुत्री पासे मूकीए एह ॥सा॥सांग॥२॥ मंडपकौशीक तापस ताम, बाया लाव्यो जमने गाम ॥ सा ॥ कर जोडी कहे सुण महाराय, धर्माधर्म जाणो तुमे न्याय ॥सा॥ सां० ॥३॥ शीलवंत खामि गुणवंत, महीयल मोटो तुं महांत ॥ सा ॥ निकलंक तुं सुणीए महाराज, विनति माहरी| सांजलो आज ॥ सा॥सांग ॥४॥ तीर्थजात्राए अमे जावं देव, डाया थापिण राखो हेव ॥ सा ॥ तुम प्रासादे करुं श्रमे जात्र, पवित्र होशे श्रमारां गात्र ॥ सा॥सांग ॥५॥ जम कहे सुण तापस राज, ए अमने नहीं लागे लाज ॥ सा ॥डोमी जा तुमे या एह, अनोगत श्रावी लेजो तेह ॥ सा ॥ सांग ॥ ६ ॥ तापस तव रलि-I यात थयो, जम पासे मूकीने गयो ॥ सा ॥ अडसठ तीरथ करे फरी जाम, कृतांत |वात सांजलजो ताम ॥ सा ॥ सांग ॥ ७॥ गया रूप देखी श्रनिराम, जम सर्वांगे || व्याप्यो काम ॥ सा० ॥ मनमां चिंतवे नोगतुं एद, सफल जनम करूं मुज देह ॥ सा० ॥ सांग ॥ ७॥ जोलवी घरमांहे तेमी बाल, पाप करम मांड्यो विकराल ॥ साon ॥५३॥
SR No.022846
Book TitleDharm Parikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1913
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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