SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ३६ ] पागल मनुष्य और दिगम्बर मुनि ही मोक्ष के लायक हैं वास्तव में वे सब दिगम्बर है । और सब सभ्यमनुष्य, दिगम्बर गृहस्थ तथा श्वेताम्बर मोक्ष के लिये प्रयोग्य है क्योंकि ये सब अदिगम्बर यानी श्वेताम्बर है । क्या यह ठीक मान्यता है ! यद्यपि दिगम्बर के आदि आचार्य कुन्द कुन्द दिगम्बरत्व के ऊपर काफी जोर देते हैं मगर वे या कोई भी दिगम्बर आचार्य नग्नता ही मोक्ष मार्ग है ऐसा मानते नहीं हैं। खिलाफ में दिगम्बर और श्वेताम्बर सब कोई ऐसा अवश्य मानते हैं कि " सम्यग् दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्ष मार्गः” । श्रा० कुद कुन्द स्वामी भी ताईद करते हैं कि सम्मत्तनाणजुत्तं, चारितं राग दोस परिहिणं । मोक्खस्स हवदि मग्गो, भव्वाणं लद्धबुद्धीणं ।। १०६ ।। ( पंचास्तिकाय समयसार गा० १०६ ) नाणेण दंसणेण य, तवेण य चरियेण संजमगुणेण । चउहिं पि समाजोगे, मोक्खो जिसासणे दिट्ठो ॥ ३० ॥ ( दर्शन प्राभृत गा० ३० ) राय होदि मोक्खमग्गो लिगं जं देहणिम्ममा अरिहा । लिगं मुइत दंसण गाण चरिताणि सेवंति ॥ ४३६ ॥ दंसण गाण चरिताणि, मोक्ख मग्गं जिणा बिंति ॥ ४४० ॥ ( समयसार प्राभृत गा० ४३६-४४० ) सामान्य बुद्धि वाला भी समझ सकता है कि आत्मा मोक्ष में जाती है ज्ञान दर्शन वगैरह आत्मा के गुण है अतः इन सम्यक् दर्शन वगैरह से ही मोक्ष हो सकता है, विरुद्ध में शरीर मोक्ष में नहीं जाता है वह चाहे उपाधि सहित हो या उपधि से रहित हो, मगर यहाँ ही पड़ा रहता है । इस हालत में नग्नता मोक्ष मार्ग नहीं हो सकती है ! सम्यक् दर्शन आदि को छोड़ कर नग्नता को मोक्ष
SR No.022844
Book TitleShwetambar Digambar Part 01 And 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy