SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 251
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०२ अविदाही लघुः खादुः कषायो रूक्ष दीपनः ॥ वृष्यो रुच्यो ज्वरश्वास मेहकुष्ठभ्रम प्रणुत् ॥ ३२ ॥ सुनिषण्ण ठंडा ग्राहक त्रिदोषनाशक दाहशामक सुपाच्य दीपक ज्वरशामक है। - ( भावमिश्र कृत भावप्रकाश निघण्टु, शाकवर्ग ) पारापत फलगुण- दाहनाशक ज्वरनाशक तथा शीतल । चौपत्तीया भाजी - दाहनाशक ज्वरहर शीतल तथा मलशोधक ( दस्त बंध करनेवाली) खटाश-भाजीनां शाक दहीं नाखीने खाटां करवानो रिवाज जाणीतो छे. पटले खटाशनी जग्याए दहीं लइए तो झाडाना रोगमां अत्यंत फायदा कारक छे, आवी रोते आ चीजो प्रभु महावीर स्वामीना रोगनी दृष्टिए उपयोगी छे. - ( महो० काशीविश्वनाथ प्रहादजी व्यास, साहित्याचार्य काव्य साहित्यविशारद मीमांसा शास्त्री, एल. ए. एम्. लिखित शास्त्रीय खुलासो, जैनधर्म प्रकाश पु० ५४ अं० १२ पृ० ४२७) (२) बीजौरा के गुणदोष - श्वास कासा ऽरुचिहरं तृष्णानं कण्ठशोधनम् ॥ १४८ ॥ लध्वम्लं दीपनं हृद्यं मातुलुङ्गमुदाहृतम् ॥ त्वक् तिक्ता दुर्जरा तस्य वातकुमिकफापहा ॥ १४९ ॥ स्वादु शीतं गुरु स्निग्धं, मांसं मारुतपित्तजित् ।। मेध्यं शूलानिलछर्दि - कफारोचकनाशकम् ॥ १५०॥ दीपनं लघु संग्राहि, गुल्मार्शोघ्नं तु केसरम् ॥ शूलानिलविबन्धेषु, रसस्तस्योपदिश्यते ।। १५१ ।। अरुचौ च विशेषेण, मन्दे नौ कफ मारुते ॥ बीजौरा - तृष्णा शामक, कण्ठ शोधक, दीपक है। बीजौरा का मांस (गुदा) शीत बायुहर पित्तहर है, वगेरह वगेरह । - (सुश्रुतसंहिता)
SR No.022844
Book TitleShwetambar Digambar Part 01 And 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy