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________________ - • पारिभाषिक शब्दमालामेंचंद्रलेखा-बकुची, इश्वरम्-पित्तल. अश्वकर्ण-इसबगोल, फणी-प्रवेतचन्दन, पातालनृप-सीसा. लक्ष्मी-लोहा हरि-गुगल, पुरुष-गुगल, माद्री-अतीस, नागार्जुनी-दुद्धी, बहुपुत्रा-यवासा, राक्षसी-राई, शतसुता-शतावर, मुकुन्द-कुंदरू, कुमारी-घीगुवार, महाबला-सहदेई, शकारि-कचनार, रक्तबीज-मूंगफली मुंज-सरकंडा, लांगली-कलिहारी, तरुण-परंड, चंडालिनी-लहसुन, उरग-सीसा, कृष्णबीज-कालादाना, ताम्रकूट-तमाखू। ( बम्बई पुस्तक एजेन्सी-कलकत्तासे प्रकाशित साहित्यशास्त्री प. रामतेजपाण्डयेयकृत टीप्पणीयुक्त, पं. भावमिश्रकृत भावप्रकाशनिघण्टुः प्रथमावृत्ति वि. सं. १९९२) (३) आज भी कई प्रचलित शब्द ऐसे हैं कि-जिनका अर्थ, भाषाभेदादिके कारण प्राणी और वनस्पति ये दोनों होते हैं । जैसा कि शब्द प्राणी-देशमें वनस्पति-देशमें कुकडी मुरघी-गुजरातमें भुट्टे, पंजाबमें गलगल गुट्टारपक्षी - . बीजौरा, चील चीलपक्षी, यू.पी. में चीलकी भाजी गील्होड़ी गीलहरी, शाग, कवेला सफेदकोला,पेठा (जिम्मेरठ) पोपटा बीभत्सअङ्ग, मालवा हराचना, गुजरातमें लजालु स्त्री ... छोडकी जाति, गुजरातमें इस घटनासे सम्बन्ध रखनेवाली निम्न बातें भी विचारपथमें ले लेनी चाहिये। (१) इस औषधको लानेकी आज्ञा देनेवाले सर्वज्ञ तीर्थकर भगवान श्री महावीर हैं। और लानेवाले है पांच महाव्रतधारक महा तपस्वी सिंहमुनिजी ? जो मानसिक, वाचिक और शारीरिक हिंसाके कट्टर विरोधी है। जो अहिंसाके महान् उपदेष्टा है और स्वयं पालक भी हैं। यदि उपदेष्टा कीसी भी सिद्धान्त की प्ररू
SR No.022844
Book TitleShwetambar Digambar Part 01 And 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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