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________________ છૂટ (३) कुमारवास - कुमाराणामराजभावेन वासे ' ( अभिधान राजेन्द्र, पृ. ५८८ ) (४) कुमारी - वनस्पति विशेष, कंवार पाठा । (५) दिक्कुमारी - दिशाओंकी देवीयाँ, जो ब्रह्मचारिणी मानी जाती नहीं है (६) कोमार, तनुतिमिच्छा, रसायणं, विस, भूद, खारतंतं च ॥ सालंकियं च सल्लं, तिगंछदोसे दु अट्ठविहो ॥ ३३॥ टीका - कौमारं बालवैद्यं (आ० वट्टेकरकृत मूलाचार परि० ६ ) (आ० वसुनन्दी श्रमणकृत टीका ) (७) वहां आज भी " कुमार " उस व्यक्ति की संज्ञा है, जिस के पिता या बडे भाई जीवित हैं । उनकी मौजुदगी में, वह चाहे फिर तीनसौ साठ वर्षका बूढा ही क्यों न बन जावे, और उसके पांच सात सन्ताने भी हो जावे फिर भी वह 'कुमार' ही कहलाता रहेगा, राजपूताने के सारे क्षत्रिय वंश और वैश्यो के सम्पूर्ण कुल, इस बात की राजघोषणा कर रहे हैं, अरे 'कुमार' शब्द तो घरके बडे बूढे पुरुषोकी जीवित अवस्थामें संतान शब्द के अर्थका वाचक है. 'विवाहित' और 'अविवाहित' आदि अर्थों से इसका सम्बन्ध ही क्या ? | भारत के सभी क्षत्रिय नरेशों तथा शेठ - शाहूकारों के घरो में, घर में बाप या बडे भाईओं की मौजूदगी में छोटे पुत्रों को आज 'कुमार साहब' कुंवर साहब' या 'कंबर साहब' कह कर पुकारते हैं । ( कल्पित कथा समीक्षाका प्रत्युत्तर पृ० १०६) (८) कुमार - १ पांच वर्ष की अवस्था का बालक । २ पुत्र बेटा । ३ युवराज । ४ कार्तिकेय । ५ सिन्धुनद । ६ तोता सुग्गा, ७ खरासोना । ८ सनक सनन्दन सनत् और सुजात आदि कई ऋषि, जो सड़ा बालक ही रहते हैं । ९ 'युवावस्था या उस से पहेले की अवस्थावाला पुरुष । १० एकग्रह जिसका असर बालकों पर होता है । ( संक्षिप्त - हीन्दी - शब्दसागर पृ. २४४ )
SR No.022844
Book TitleShwetambar Digambar Part 01 And 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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