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________________ ८२ : प्राचीन जैन साहित्य में वर्णात आर्थिक जीवन उटण - ऊँट के बालों से, मिगाईणाणि - मृग के बालों से, पेसाणिचूहे जैसे जीव तथा पेसलाणि - विदेशी पशुओं के बालों से बने वस्त्र । ' निशीथचूर्णि से ज्ञात होता है कि रालग उत्तम प्रकार का ऊनी वस्त्र था जो मुख्यतः ओढ़ने के काम आता था। प्रश्नव्याकरण में कम्बलों में रत्न कम्बल को श्रेष्ठ माना गया है । ३‍ (घ) चर्मवस्त्र मृग, भेड़, गौ, महिष और बकरे के चर्म के वस्त्रों का प्रयोग किया जाता था । सिन्ध देश के चर्मवस्त्र मूल्यवान होते थे । ५ आचारांग से ज्ञात होता है कि उक्त वस्त्रों के अतिरिक्त सूक्ष्म, कोमल और बहुमूल्य वस्त्रों का भी निर्माण होता था, यथासाहिण अर्थात् सूक्ष्म और सौन्दर्यशाली आय अर्थात् बकरे के खाल से निर्मित काय अर्थात् नीली कपास से निर्मित दुग्गल अर्थात् दुकूल के तन्तुओं से निर्मित पट्ट अर्थात् पट्ट के तन्तुओं से निर्मित अंसु अर्थात् दुकूल वृक्ष की छाल के रेशों से निर्मित देसराग अर्थात् रंगे हुए गज्जफल अर्थात् स्फटिक के समान स्वच्छ कोयव अर्थात् रोंयेदार कम्बल कम्बलग अर्थात् साधारण कम्बल और पावारण अर्थात् लबादा से लपेटने वाले वस्त्र । का भी उल्लेख हुआ है । वस्त्रों की थे । धोबी की गणना १८ श्रेणियों में वस्त्र व्यवसाय से सम्बन्धित शिल्पियों - रंगरेज, धोबी और दर्जियों रंगाई - धुलाई का काम धोबी करते होती थी । वस्त्रों को पहले धोया जाता था, फिर विभिन्न रंगों से रंगा जाता था, फिर पत्थर आदि से १. आचारांग २।५।१।१४९; निशीथचू णि, भाग २ गाथा ६४५ २. निशीथचूर्ण, भाग २ गाथा ६४५ ३. प्रश्नव्याकरण ९।२ ४. बृहत्कल्पभाष्य, भाग ३ गाथा ३८२३ ५. आचारांग २।५।१।४५ ६. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, ३ / १० प्रज्ञापना १ / १०५, १०६
SR No.022843
Book TitlePrachin Jain Sahitya Me Arthik Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamal Jain
PublisherParshwanath Vidyashram Shodh Samsthan
Publication Year1988
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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