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________________ ७८ : प्राचीन जैन साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन उद्योगों के रूप में ही प्रचलित थे । उद्योगकर्ता अपनी स्वयं की पूंजी से ही उद्योग चला लेते थे । 5 देश की वन सम्पदा, खनिज सम्पदा, कृषि और पशुधन की समृद्धि के कारण उद्योगों को कच्चा माल नियमित रूप से उपलब्ध होता रहता था । वस्त्र उद्योग, काष्ठ उद्योग, चर्म उद्योग तथा वास्तु-उद्योग के लिये कच्चे माल की आपूर्ति वन से ही हो जाती थी । कृषि से वस्त्र, खांड तेल, मद्य आदि उद्योग चलते थे । खनिज सम्पदा से धातु उद्योग में • उन्नति हुई थी । यातायात की सुविधा के कारण कच्चा माल एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुलभता से पहुँचाया जा सकता था । यातायात की सुविधा के कारण उद्योगों से उत्पादित वस्तुओं के वितरण में भी सुविधा थी । राजा की निजी उद्योगशालायें भी हुआ करती थीं । आचारांग ज्ञात होता है कि एक बार राजा श्रेणिक ने यान, वल्कल, कोयले और मुजदर्भ के शालाध्यक्षों को बुलाया था । इसी प्रकार कौटिलीय . अर्थशास्त्र से भी राज्य की उद्योगशालाओं पर प्रकाश पड़ता है । ३ कुटीर और लघु उद्योगों के अतिरिक्त चक्रवर्ती राजाओं द्वारा बड़े उद्योग चलाने के उल्लेख भी जैन ग्रन्थों में प्राप्त होते हैं । स्थानांग से ज्ञात होता है कि चक्रवर्ती की भौतिक सुख-सुविधाओं के लिये नव निधियां होती थीं। इनमें पहली निधि काल ( कालनिधि ) में ग्रन्थ लेख और राज्य सम्बन्धी प्रमाण सुरक्षित रखे जाते थे । दूसरी महाकाल ( महाकाल निधि) में विभिन्न प्रकार के आयुध तैयार किये जाते थे, तीसरी सव्वरयण ( सर्वरत्न निधि ) में रत्नों को संशोधित किया जाता था, चौथी पंडुय ( पाण्डु निधि ) में सब धान्यों और रसों के भण्डारण और उनकी सुरक्षा का प्रबन्ध किया जाता था, पाँचवीं महापउम (महापद्म निधि) में सूती और रेशमी वस्त्रों का निर्माण और उनको विविध रंगों में रंगने का कार्य किया जाता था, छठीं पिंगल ( पिंगल निधि ) में स्त्री-पुरुष, हाथी-घोड़े आदि के आभूषणों का निर्माण किया जाता था, सातवीं माणवग ( प्रद १. उपासकदशांग, ७ ४ २. आचारांग २ २ २ ८; दशाश्रुतस्कन्धदशा १० ३. कौटिलीय अर्थशास्त्र २/१०/३२. २ /२३/४० - ४. स्थानांग ९ / २२,
SR No.022843
Book TitlePrachin Jain Sahitya Me Arthik Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamal Jain
PublisherParshwanath Vidyashram Shodh Samsthan
Publication Year1988
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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