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________________ तृतीय अध्याय : ६१ में सहस्राम्रवन का उल्लेख है।' ऐसा प्रतीत होता है कि व्यापारिक उद्देश्य से फलों के बड़े-बड़े उद्यान लगाये जाते थे। फलों को सुखाकर संरक्षित भी किया जाता था । फल सुखाने के स्थान को “कोहक' कहा जाता था। फिर वहाँ से उन्हें गठरी में बांधकर या गाड़ी में भरकर विक्रय-हेतु बाजारों में ले जाया जाता था। निशीथचूर्णि से ज्ञात होता है कि पूलिंद जंगलों से गाड़ियों में फल भरकर लाते थे।३ जो फल समय आने पर वृक्षों पर ही पक जाते थे उन्हें वृक्षपर्यायाम कहा जाता था। आज की ही भाँति कच्चे फलों को कृत्रिम विधि से चावल आदि के भूसे के अन्दर रखकर अथवा धूम आदि के द्वारा ऊष्मा पहुँचाकर पकाया जाता था। आम आदि को पकाने के लिये बृहत्कल्पभाष्य में "इंधणपर्यायाम्' विधि का उल्लेख मिलता है । इस विधि में भूसे के अन्दर रखकर गर्मी पहुँचाई जाती थी, जिससे वे जल्दी पककर तैयार हो जाते थे। इसी प्रकार “धूम्रपर्यायाम्'' विधि का भी उल्लेख मिलता है। इसमें एक गड्ढा खोदा जाता था। इसमें उपलों या कंडों की अग्नि भर दी जाती थी। इस गड्ढे के चारों ओर गोलाई बनाते हुये गड्ढे खोदे जाते थे जिनमें फल रखे जाते थे और इन गड्ढों की दीवार में केन्द्रीय गड्ढे की ओर छिद्र बना दिये जाते थे; जब छिद्रों से इन गड्ढों में धूम्र पहुँचता था तो उसकी ऊष्मा से फल पक जाते थे। इसी प्रकार "गंधपर्यायाम्' विधि का उल्लेख मिलता है, इसमें आभ्रक, चिर्मट बीजपूरक आदि को पके फलों के साथ रख दिया जाता था, जिससे पके फलों की सुगन्ध से कच्चे फल भी पक जाते थे । फलों के रसों से विविध शरबत बनाये जाते थे। आचारांगसूत्र में आम, अमड़ा, कपित्थ, १. "सहस्सववणो उज्जाणे"--उपासकदशांग ६/२, ७/२; भगवतीसूत्र ११/९/२ २. बृहत्कल्पभाष्य भाग २, गाथा ८७२ ३. निशीथचूणि भाग ४, गाथा ४७३२ ४. बृहत्कल्पभाष्य भाग २, गाथा ८४३; निशीथचूर्णि भाग ३, गाथा ४७१० ५. बृहत्कल्पभाष्य भाग २, गाथा ८२; निशीथचूर्णि भाग ३, गाथा ४७११ ६. 'कोद्धवपलालमाइ धूमेण तिदुगाई पच्चते मज्झ गडाडगणि पेरत तिंदुय । छिद्धधूमन"-बृहत्कल्पभाष्य भाग २, गाथा ८४२; निशीथचूणि भाग ३, गाथा ४७११ ७. आचारांग २/१/८/४३
SR No.022843
Book TitlePrachin Jain Sahitya Me Arthik Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamal Jain
PublisherParshwanath Vidyashram Shodh Samsthan
Publication Year1988
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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