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________________ 424 / Jijnäsä भारत की जनगणना कार्यालय राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन कार्यालय केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन कार्यालय आज जिस तरह गरीबों की संख्या से संबंधित सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल उठ रहे हैं। उसी प्रकार जनसंख्या, साक्षरता, रोजगार, बेरोजगार, महिला रोजगार की संख्या एवमं स्थिति पर भी अनेकोनेक प्रश्नवाचक भी उपस्थित है, बावजूद इसके सरकारी आँकड़े समस्या की स्थिति से संबंधित मोटी-मोटी तस्वीर तो अवश्य बता देते हैं। जिसे अध्ययन के दृष्टिकोण से प्रमाणिक डाटा एवं सूचना माना जाता है और उसी के आधार पर समस्या से संबंधित तथ्यों को विभिन्न मापदंडों पर परीक्षण किया जाता है। संगठित एवं असंगठित क्षेत्र में रोजगार रोजगार के संगठन की प्रकृति पर ध्यान दिया जाए तो हम पाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था द्वारा प्रदान किए जाने वाले कुल रोजगार में संगठित क्षेत्र का अंश मात्र 7 प्रतिशत (2.81 करोड) तथा असंगठित क्षेत्र का अंश 93 प्रतिशत (37 करोड़) है। अब भी देश में रोजगार प्रदान करने का मुख्य स्रोत असंगठित क्षेत्र तथा असंगठित क्षेत्र में कृषि प्रमुख है। यद्यपि असंगठित क्षेत्र में स्व-रोजगार तथा छोटे-मोटे स्तर के व्यापार भी शामिल हैं। 21वीं सदी में यह असंगठित क्षेत्र देश के 100 में से 93 लोगों को आज भी रोजगार प्रदान कर रहा है। असंगठित क्षेत्र के तुलना में संगठित क्षेत्र की रोजगार क्षमता बहुत निम्न है। ___ भारत में रोजगार की विस्तार से चर्चा करने के उपरांत महिला श्रमिकों की स्थिति को समझना आसान हो जाता है। __ भारत के औद्योगिक विकास की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे 'विकासशील देशों श्रेणी में रखा गया है। वह राष्ट्र जो न अविकसित है और न विकसित बल्कि विकसित होने की प्रक्रिया में है और जो आगे चलकर विकसित राष्ट्र बन जाएगा। भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम ने 2020 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने का सपना देखा है। इस प्रकार देखा जाए तो भारत की अर्थव्यवस्था औद्योगिक इकाइयाँ, औद्योगिक समाज, बुनियादी अधीःसंरचना, स्त्री- पुरूष अन्तर्राष्ट्रीय मापदण्डों के आधार अभी उन्नत और विकसित होने की प्रक्रिया में हैं। तो विकासशील अर्थव्यवस्था की विशेषताओं के अनुसार श्रमिक, रोजगार और रोजगार के स्वरूप, उसका फैलाव, मजदूरी स्तर (उच्च-न्यूनतम), संगठित-असंगठित क्षेत्र में रोजगार का संकेन्द्रण आदि की स्थितियाँ होगी। संसार के अधिकांश विकासशील देश की भाँति भारतीय महिला श्रमिकों का भी वही स्थितियाँ हैं जो निम्नलिखित है : 1. महिलाओं की बड़ी संख्या खेतिहर श्रमिक के रूप में लगी; 2. भारत में अधिकांश महिलाएँ असंगठित क्षेत्र में श्रमिक के रूप में कार्यरत हैं, 3. सर्वाधिक महिलाएँ प्राइमरी सेक्टर में लगी हैं ; 4. स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त (1947), प्राइमरी सेक्टर में महिला रोजगार में लगातार कमी हो रही है। क्योंकि सेकेंडरी सेक्टर (उद्योग) एवं टरसरी सेक्टर (सेवा) का विस्तार स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद काफी तेजी से हो रहा है। फलतः महिलाएँ जो पहले कृषि एवं उससे संबंधित कार्य पर लगी थीं, उसने गैर-कृषि क्षेत्र/उद्योग सेवा में रोजगार के अवसर तलाशना शुरू किया; 5, असंगठित क्षेत्र में भी बहुसंख्यक महिलाएं कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं,
SR No.022813
Book TitleJignasa Journal Of History Of Ideas And Culture Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVibha Upadhyaya and Others
PublisherUniversity of Rajasthan
Publication Year2011
Total Pages236
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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