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________________ शेखावाटी क्षेत्र के सांस्कृतिक विकास में व्यापारिक मार्गों का योगदान / 393 48. शेखावाटी क्षेत्र के सांस्कृतिक विकास में व्यापारिक मार्गों का योगदान प्रमिला पूनिया राजस्थान में 'शेखावाटी की अपनी खास प्रतिष्ठा है। शेखावाटी जयपुर राज्य के अन्तर्गत एक महत्वपूर्ण भू-भाग था। जयपुर जिसे ढूँढ़ार राज्य के नाम से जाना जाता था वह बसवा, आमेर दौसा केवल इन्हीं तीनों की सीमा के अन्दर फैला हुआ था। धीरे-धीरे ढूंढार राज्य की सीमा बढ़ती गयी और अरावली के उत्तर-पश्चिम की तरफ भी ढूंढार राज्य का कुछ भाग आ गया जिसे शेखावाटी कहते है।' अरावली पर्वत श्रृंखला शेखावाटी प्रदेश को दो भागों में विभक्त करते हुये उत्तर-पश्चिमी और दक्षिणी-पूर्वी भागों में से होकर निकलती है। इसका प्रथम भाग रेतीला है तथा दक्षिणी-पूर्वी भाग में पर्वत श्रृंखलाएँ एवं उपजाऊ मैदान है। पूर्व काल में शेखावाटी के उत्तर-पश्चिम में बीकानेर राज्य उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में लुहारू एवं पटियाला राज्य, दक्षिण में सांभर व जयपुर राज्य, दक्षिण पश्चिम में जोधपुर और पूर्व में अलवर - भरतपुर के भू-भाग पड़ते थे। बाद में निकटस्थ स्थानों के नाम एवं भू-भागों के परिवर्तन के कारण अब उत्तर-पश्चिम में चुरू और गंगानगर जिले, दक्षिण-पश्चिम में नागौर जिला, दक्षिण और पूर्व में जयपुर जिला तथा पूर्व में हरियाणा प्रान्त है। शेखावाटी के आर्थिक संगठन में कृषि, पशुपालन, उद्योग, व्यापार तथा महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां के महाजन व्यापारी लोग व्यापार में बड़े चतुर, सहनशील, व्यवसायी एवं कार्यकुशल होते है ये लोग बहुत पहले से ही देश देशान्तर जाकर बस गये थे लेकिन अपनी जन्मभूमि से इन्होंने कभी सम्बन्ध-विच्छेद नहीं किया भारत में विशेषकर इन व्यापारियों ने आसाम, बर्मा, रंगून, मांडले, कलकत्ता, नेपाल, हैदराबाद, बम्बई, अहमदाबाद आदि को अपना प्रमुख स्थान बनाया और वहीं जाकर बस गये। जैसे-जैसे इनका व्यापार बढ़ता गया उन्होंने शेखावाटी में आकर बड़ी-बड़ी हवेलियाँ बनवाना शुरू किया ये अधिकांश हवेलियों 18वीं, 19वीं शताब्दी की बनी हुयी हैं।' शेखावाटी क्षेत्र मध्यकाल में प्रमुख व्यापारिक मार्ग से जुड़ा हुआ था। देरावल वर्तमान भावलपुर क्षेत्र (पाकिस्तान) से होकर दिल्ली जाने वाले भार्ग पर स्थित शेखावाटी में समृद्ध व्यापारी रहते थे सिन्ध क्षेत्र में आने वाले निरन्तर भीषण आक्रमणों के फलस्वरूप श्रीमंत व्यापारी कलाकार तथा सेठ साहुकार यहाँ आकर बसे थे। इस कारण मध्यकाल में यहाँ बड़े-बड़े नगरों, हवेलियों कुओं बावड़ियों, मन्दिरों छत्रियों का निर्माण हुआ। आज भी इस क्षेत्र के खेतड़ी, खंडेला, सीकर, झुन्झुनु मंडावा, फतेहपुर, चिड़ावा, चुरू, रामगढ़, लक्ष्मणगढ़, बिसाऊ, नवलगढ़ आदि सांस्कृतिक नगर है। जो शेखावाटी की संस्कृति के नाम से अपनी पहचान बनाये हुये है । मध्यकालीन राजस्थान के व्यापार-वाणिज्य की उन्नति में उसकी भौगोलिक स्थिति का भी महत्वपूर्ण योगदान था। इसी कारण देश के उत्तरी उत्तर-पश्चिमी और दक्षिणी भारत के अधिकांश व्यापारिक मार्ग राजपूताना से होकर गुजरते थे। अफ्रीका, यूरोप और पूर्वी एशिया के व्यापारी सिन्ध अथवा गुजरात के बन्दरगाहों से राजपूताना
SR No.022813
Book TitleJignasa Journal Of History Of Ideas And Culture Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVibha Upadhyaya and Others
PublisherUniversity of Rajasthan
Publication Year2011
Total Pages236
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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