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________________ 80 / Jijnāsā श्रीकृष्ण का दर्शन एवं नैतिक चिन्तन मानवमात्र के लिए उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है। दुष्टों के नाश में कूटनीति का प्रयोग भी व्यावहारिक दृष्टि से सर्वोत्तम उपाय है। वैदिक दर्शन के सभी सारभूत तत्त्वों का सुसंयोजित एवं सयुक्तिक प्रस्तुत कर, विश्व के मानवीय जगत् के समक्ष एक अद्वितीय, विलक्षण, नैतिक एवं दार्शनिक योगदान करके श्रीकृष्ण ने वैदिक दिव्य ज्ञान की मूर्धन्यता सुप्रतिष्ठित की है तथा धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र की धरा को महागौरव से मण्डित किया है। सन्दर्भ: 1. गीतामहात्म्य पद्मपुराण में ग्रथित है। गीताओं के साथ प्रकाशित है। द्रष्टव्य हैं गीता प्रेस के संस्करण। 2. सर्वशास्त्रमयी गीता सर्वदेवमयो हरिः। सर्वतीर्थमयी गङ्गा सर्ववेदमयो मनुः।। महाभारत भीष्मपर्व 43.2 3. श्रीमद्भगवद्गीता पर रामसुखदास की व्याख्या साधकसजीवनी, गीताप्रेस गोरखपुर 2010 4. योगवासिष्ठ - वाल्मीकिकृत, वासुदेवलक्ष्मणशर्मा पणशीकर सम्पादित, मोतीलाल बनारसीदास, 2 भाग, दिल्ली 1984 5. श्रीमद् भगवद्गीता. गीताप्रेस, गोरखपुर, 2013 6. अनुगीता - गीता महोदधि, तृतीय भाग पृ. 1-130 में प्रकाशित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सम्पादित-दर्शन विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर 2010 7. महाभारत, षष्ठ खण्ड अश्वमेघपर्व, पं. रामनारायण शास्त्री पाण्डेय कृत हिन्दी अनुवाद, गीताप्रेस, गोरखपुर, संवत् 2053 8. काश्यपगीता - महाभारत के अश्वमेघपर्व के अध्याय 16-19 को कहते है। द्रष्टव्य है गीतामहोदधि, तृतीय भाग, पृ. 1-22, दर्शन विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर 2010 9. अम्बरीष गीता - महाभारत के अश्वमेघ पर्व के अध्याय 31 को कहा जाता है। द्रष्टव्य है गीतामहोदधि, तृतीय भाग, पृ. 59-61, दर्शन विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर 2010 10. ब्राह्मणगीता, महाभारत के अश्वमेघ पर्व के अध्याय 20-34 को कहा जाता है। द्रष्टव्य है गीतामहोदधि, तृतीय भाग, पृ. 23-67, दर्शन विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर 2010 11. उद्धवीता, भागवत महापुराण, के 11 वें स्कन्ध के अध्याय 7-29 में उपलब्ध है। द्रष्टव्य है गीतामहोदधि, द्वितीय, पृ. 1-151 दर्शन विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से 2010 में प्रकाशित है पृष्ठ 1-151 12. उद्धवगीता पृ. 12-18 15. उद्धवगीता पृ. 106-109 14. उद्धवगीतापृ. 1-23 15. उद्धवगीता पृ. 124-129 16. उद्धवगीता पृ. 40-47
SR No.022812
Book TitleJignasa Journal Of History Of Ideas And Culture Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVibha Upadhyaya and Others
PublisherUniversity of Rajasthan
Publication Year2011
Total Pages272
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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