SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी जैन साहित्य में रहस्यभावना सकलकीर्ति (सं. १४४३), के सोलहकारणरास आदि उल्लेखनीय हैं। ब्रह्मजिनदास (सं. १४४५ - १५२५) का रासा साहित्य कदाचित् सर्वाधिक है। उनमें रामसीतारास, यशोधररास, हनुमतरास (सं. ७२५ पद्य) नागकुमाररास परमहंसरास ( १९०० पद्य) अजितनाथ रास, होली रास (१४८ पद्य) धर्मपरीक्षारास, ज्येष्ठजिनवर रास ( १२० पद्य), श्रेणिकरास, रामकितमिथ्यात्वरास ( ७० पद्य), सुदर्शनरास (३३७ पद्य), अम्बिका रास ( १५८ पद्य), नागश्रीरास (२५३ पद्य), जम्बूस्वामी रास ( १०००५ पद्य), भद्रबहुरास, कर्मविपाक रास, सुकौशल स्वामी रास, रोहिणीरास, सोलहकारणरास, दशलक्षणरास, अनन्तव्रतरास, बंकचूल रास, धन्यकुमाररास, चारुदत्त प्रबन्ध रास, पुष्पांजलि रास, धनपालरास (दानकथा रास), भविष्यदत्तरास, जीवंधररास, नेमीश्वररास, करकण्डुरास, सुभौमचक्रवर्तीरास और अट्ठमूलगुण रास प्रमुख हैं। इनकी भाषा गुजराती मिश्रित है। इन ग्रन्थों की प्रतियां जयपुर, उदयपुर दिल्ली आदि के जैनशास्त्र भण्डारों में उपलब्ध हैं। 118 इनके अतिरिक्त मुनिसुन्दरसूरि का सुदर्शन श्रेष्ठिरास (सं. १५०१), मुनि प्रतापचन्द का स्वप्नावलीरास (सं. १५०० ), सोमकीर्ति का यशोधररास (सं. १५२६), संवेग सुन्दर उपाध्याय का सारसिखामनरास (सं. १५४८), ज्ञानभूषण का पोसहरास (सं. १५५८), यशःकीर्ति का नेमिनाथरास (सं. १५५८), ब्रह्मज्ञानसागर का हनुमंतरास (सं. १६३०), मतिशेखर का धन्नारास (सं. १५१४), विद्याभूषणका भविष्यदत्तरास (सं. १६०० ), उदयसेन का जीवंधररास (सं. १६०६), विनयसमुद्र का चित्रसेन पद्मावतीरास (सं. १६०५), रायमल्ल का प्रद्युम्नरास (सं. १६६८), पांडे जिनदास
SR No.022771
Book TitleHindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushplata Jain
PublisherSanmati Prachya Shodh Samsthan
Publication Year2008
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy