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________________ 17।। ॥8॥ ॥9॥ 1110॥ ॥11॥ ||12|| ||13|| संसारा अडवीए मिच्छत्तंन्नाण मोहिअ पहाए जेहिं कय(यं) देसिअत्तं ते अरिहंत पणिवयामि सम्मदंसणदिट्रो नाणेण य स तेहिं उवलध्धो चरण करणेण पहओ निव्वाण पहो जिणिंदेहिं सिद्धिवसहिमुवगया निव्वाण सुहंच ते अणुप्पत्ता सासय मव्वाबाहं पत्ता अयरामरं ठाणं पावंति जहा पारं सम्मं निजामया समुद्दस्स भवजलहिस्स जिणिंदा तहेव जम्हा अओ अरिहा मिच्छत कालियावाय विरहिए सम्मत्तगजभ पवाए एगसमएण पत्ता सिद्धिवसहिंपट्टणं पोया निजामग रयणाणं अमूढनाणमइ कण्णधाराणं वंदामि विणय पणओ तिविहेण तिदंड विरयाणं पालंति जहा गोवो अहि सावयाइ दुग्गेहिं पउरतणपाणिआणि अ वणाणि पावंत्ति तह चेव ___ जीवनिकाया गावो जं ते पालंति ते महागोवा मरणाइ भयाउ जिणा निव्वाण वणं च पावंति तो उवगारित्तणओ नमोऽरिहा भविअजीवलोगस्स सव्वस्सेह जिणिंदा लोगुत्तम भावओ तहय रागद्दोस कसाए इंदियाणि अ पंच वि परिसहे उवस्सग्गो नामयंता नमोऽरिहा तेण वुच्चंति इंदिया विसय कसाए परिसहे वेयणा उवस्सग्गे एए अरिणो हंता अरिहंता तेण उच्चंति अट्ठविहं पिय कम्मं अरिभूयं होइ सव्वजीवाणां तं कम्ममरिं हंता अरिहंता तेण वुच्चंति अरिहंति वंदण नमसणाई अरिहंति पूअसकारं सिद्धिगमणं च अरिहा अरहंता तेण वुच्चंति देवासुर मणुएसुं अरिहा पूआ सुरुतमा जम्हा ___ अरिणो हंता रयं हंता अरिहंता तेण वुच्चंति अरिहंतनमुक्कारो जीवं मोएइ भवसहस्साओ भावेण कीरमाणो होइ पुणो बोहिलाभाए ॥14॥ ॥15॥ ॥16॥ ॥17॥ ॥18॥ ॥19॥ ॥20॥ ||21|| -257 -257
SR No.022757
Book TitleNavpad Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSohanlal Anandkumar Taleda
Publication Year2005
Total Pages654
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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