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________________ 216 ( 7 ) तस्सेय पुणो पणमह णिहुय हलिणा हसिज्जमाणस्स । अपहृत - देहली-लौं घणद्ध-वह-सटिय चल ॥ ( 8 ) से जयउ जस्स पत्तो कठे रिहासुरस्स घण- कसणो । उपाय-पवढिय-काल-वास- करणी भुय-प्फलिहो || ( 9 ) हरिणो जमलज्जुण - रिट्ठ-केसि क सासुरिंद-सेलाण । भ'जण-वळण-वियारण-कड्ढण-धरणे भुए णमह ॥ ( 10 ) कक्कस - भुय - काप्पर-पुरियाणणो कढिण-कर- कयावेसेो । केसि-किसे।र-कयत्थणे-कउज्जमो जथइ महुमहणो || Prakrit and Apabhramśa Studies ( 11 ) णत्थेपिणु महुमहणेण, कालिउ णहयले भामियउ । भीसावणुकांसहो णाइ काल-दंडु उग्गामियउ ॥ ( 12 ) एहु विसमर सुछु आएसु पाणतिर माणुस कवि मारे धुउ ( 13 ) सब्ब - गोविउ जइ - वि जोएइ हरि सु-वि आअरेण का सक्कड़ सवरेवि ( 14 ) देइ पाली थह पन्भारे ताप लिणि-दलु फल cot पाविय ( 15 ) हरि नच्चाविउ पं गणइ एम्बर्हि राह - ओहरह दिट्ठी-विसु सप्पु कालिअउ । कहि गम्मउ काइ किज्जउ ॥ देश दिठी जहिं ssc अण हे ( लीलावई, ३) (लीला जई, हरि - विभाअ - सतावें तत्ती । करउ दइअ ज किंपि रुच्च ॥ विम्ह डिउ लोउ । जं भावइ त है|उ ॥ (लीलवई, 8) ६) ( रिट्ठणेमि चरिय, ६-३-९) ( लीलावई ७ ) ( स्वयम्भूच्छन्दसू, ४-१०.९) कहिं वि राही । पलेट्टा ॥ ( स्वयम्भूच्छन्दस्, ४-१०-२) (स्वयम्भूच्छन्दस्, ४--) ( सिद्धम, ८ -४ - ४२०.२)
SR No.022756
Book TitleIndological Studies
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1993
Total Pages376
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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